________________ नवकारफलवर्णनम् [ अपभ्रंश नवकारिहिं सिज्झहिं मंत तंत, अन्न वि जे कज्ज महामहंत / नवकारिहिं जोगिय जोगसिद्धि, मणहर संपज्जइ सयलरिद्धि // 21 // नवकारि जाई पंचप्पयाई, तइलोय महिय सत्तक्खराई / नवकारि तिनि चूला विसाल(लु), ज(जे)हिं संथुयं (ते) तिहुयणि सामिसालु // 22 // नवकारि अट्ठसठ्ठी वराण, किय संख (स) जिणिदिहिं अक्खराण / नवकारिहिं वच्चइ जाह दीह, नरमज्झि पहिल्लिय तांह लीह // 23 // नवकारु भणिवि जे निसि सुयन्ति, ते इह भव सुहिय होंति / नवकारिहिं जे जग्गंति नर, मुहु जोयई संपय ताहं पर // 24 // नवकारई भोयणु जो करेइ, तमु दुटुं दिट्टि पसरु वि हणेइ / नवकारिहिं वसणि न देइ चित्तु, संनिहिउ जेम निभिच्चु भिच्च(च्चु)॥२५॥ नवकारि (रु) अणाइअणंतुं पहु, मं मज्झहु जण भावेण लेहु / नवकारु जिणागमसव्यसारु, लीलई उग्घाडइ सिद्धिबारु // 26 // नवकारथी मंत्रो तंत्रो सिद्ध थाय छे, अन्य पण मोटा मोटां कार्यों सिद्ध थाय छे, नवकारथी योगीओने योगसिद्धि अने सकल मनोहर ऋद्धिओ प्राप्त थाय छे. 21 - नवकारमां पांच पदो छ, त्रणे लोकमां पूजित सात अक्षरो (आदिमां नमो अरिहंताणं) छे. नवकारनी चूलिकाना त्रण विभाग छे. * त्रणे भुवनमा जेओ महान् छे. तेओ (परमेष्ठीओ) अहीं नवकारमां स्तववामां आव्या छे. 22 ____- नवकारमा श्रेष्ठ (परम) अक्षरोनी संख्या जिनेंद्रोए 68 कही छे. नवकार (ना स्मरण) वडे जेओनो दिवसो जाय छे, तेओनी मनुष्योमा गणना पहेला नंबरे थाय छे. 23 नवकारनो पाठ करीने जेओ रातना सुवे छे. (सूई जाय छे), तेओ आ भवमा सुखी थाय छे, नवकारथी जे माणसो जागे छे, (उठतां ज जेओ नवकार गणे छे), श्रेष्ठ संपत्तिओ तेओनां मुख जूए छे (श्रेष्ठ संपत्तिओ तेओनी पासे पोतानी मेळे आवे छे). 24 नवकारथी जे भोजन करे छे, तेनी नजर मात्र पण दुष्टनो नाश करे छे. जेम आज्ञांकित समर्थ सेवक साथे होवाथी माणस निर्भय होय छे, तेम नवकारने धारण करनार संकटने चित्त आपतो नथी. (निर्भय होवाथी संकटने मनमा लावतो नथी.) 25 ____नवकारमा अनादि अनंत प्रभु (भगवान-पांच परमेष्ठिओ) छे. तेओ मने लोकमां ( ? ) भावथी प्राप्त थाओ. x नवकार सर्व जिनागमोनो सार छे, सिद्धि-बार| नवकार लीलाथी उधाडे ठे. 26 * एसो पंच नमुक्कारो 1 / सव्वपावप्पणासणो 2 | मंगलाणं च सम्वेसि, पढमं वइ मंगलं 3 / 4 लभ नो लेह पण प्राकृतमां थाय छे. जुओ पाइअसद्दमहण्णओ लेह शब्द /