________________ 10] नवकारफलवर्णनम् [ अपभ्रंश नवकारिं गयघड वारि हुंति, दप्पुर्धर साहण संपडंति / नवकारिहिं सामियमं(व)दणाई, नर हंति सत्तिआणंदणाहं // 7 // नवकारिहिं कयकोलाहलाई, आगइ ठिय धावहिं पायलाहिं / नवकारिहिं जाणिहि संचरंति, न कयाविय पय भूमिहि करंति // 8 // नवकारिहिं वर सोहग्गु होइ, जस चंदधवलु वित्थरइ लोइ / नवकारिहिं परियणु विणयजुत्तु, हियइच्छिउ लब्भइ बहु वि वित्तु // 9 // नवकारिहिं जीवु न दुहिउ दुत्थु, जहिं उप्पज्जइ तहिं जि सुत्थु / नवकारिहिं वररूवेण जुत्त, लब्भंति मणोरम पर पुत्त // 10 // नवकारिहिं लब्भई बेट्टियाउ, रइरूयउ तरुणतरट्टियाउ / नवकारिहिं पिययम चित्तहारि, आजम्म वि विहव न होइ नारि // 11 // नवकारिहिं वरधवलहरिवासु, संपज्जा कोमल तूलिफासु / नवकारिहिं कय कप्पूरहार, नर विलसई जह खेयरकुमार // 12 // नवकारिं नासहिं भूय पेय, वेयाल निसायर दुट्ठ जेय / नवकारिहिं नहयलगामिणीउ, पवहंति न मणुयहं डाइणीउ // 13 // नवकारथी गजघटाओना मदजल होय छे, (आंगणे हाथीओ होय छे ) नवकारथी दर्पथी उद्धत एवी सेनाओ प्राप्त थाय छे, नवकारथी वंदनाओना स्वामी थाय छे ( लोको नमस्कार करे छे?) नवकारथी माणसो शक्ति अने आनंदवाळा थाय छे. 7 नवकारथी कोलाहल करती, सामे आवीने झांझरो साथे दोडती (नाचती?) जाणे भूमि उपर पग ज न मूकती होय, एवी रीते ( नृत्यांगनाओ ? ) संचरे छे. 8 नवकारथी उत्तम सौभाग्य थाय छे, नवकारथी यश चंद्र समान धवल थइ लोकमां विस्तरे छे, नवकारथी परिवार विनययुक्त थाय छे, नवकारथी मनवांटित घणुं ज धन मळे छे. 9 नवकारथी जीव दुःखी अने खराब हालतवाळो थतो नथी, ज्यां पण उत्पन्न थाय छे त्यां सुखी सारी अवस्थावाळो थाय छे. नवकारथी (जीवो) उत्तम रूपथी युक्त मनोरम अने श्रेष्ठ पुत्रो मेळवे छे. 10 ___ नवकारथी उत्तम रूपमा रति जेवी अने प्रगल्भ पुत्रीओ मळे छे, नवकारथी मनोहर प्रियतम (पति) मळे छे, नवकारथी स्त्री जीवनना अंत सुधी विधवा थती नथी 11 नवकारथी उत्तम धवल रू (कपास) जेवां स्पर्शवाळा कोमल, उत्तम, धवल, इंद्र जेवां * (दिव्य ) वस्त्रो मळे छे, नवकारथी कपूर वगेरेथी शरीर सुगंधित करी हार धारण करेल माणस खेचरकुमार ( विद्याधर )नी जेम विलसे छे. 12 नवकारथी दुष्ट निशाचरो-भूत, प्रेत, वेताल ( बगेरे ) दूर भागी जाय छे. नवकारथी आकाशमां भमती डाकिनीओ मनुष्योने छळी शकती नथी. 13