________________ 2] तेरस-मेअ-नवकार-पडल-सरूव-फलं / [ अपभ्रंश 'अ-सि-उ-सा' चेउ अक्खरइ, जो झायह नियचित्ति / ते लंघिवि जर-मरण-भउ, सिव-सुह लहहि न भंति // 6 // मणि-मंतोसहि-मलियहु, काई करेसहि ताहं / 'अ-सि-आ-उ-सा' पंचक्खरइ हियडै निर्वसहिं जाहं // 7 // ॐ अ-सि-आ-उ-सा' जे किर छहिं अक्खरेहि नवकारं / झायंति पहिट्ठमणा, दुरियाई तेसि नवि हुंति // 8 // जे झायहि एकग्गमण 'अ-सि-आ-उ-सा-नमः' सत्तक्खर / मंतक्खर पवत्ते, दुहु लहहिं न सत्त // 9 // 'अरिहंत-सिद्ध तह आयरिय उवज्झाय साहु' एएहिं सोलसहिं अक्खरेहि, मंतो सव्वं दुहं हरइ // 10 // निच्चं पि भो 'नमो अरिहंताणं' ई पयाई पंचेव / पणतीस अक्खरेहिं, मंतं परमक्खरं सरह // 11 // जे सरहिं नवपएहिं, अडसट्ठी अक्खरेहिं नवकारं / अट्ठोत्तर-सयवारं, तेसिं पणस्संति दुरियाई // 12 // 'अ-सि-उ-सा ' ए चार अक्षरोनुं जे पोताना चित्तमां ध्यान धरे छे, ते जरा-मरणना भयोने ओलंगी जइ शिवसुखने पामे छे, तेमां भ्रांति नथी / / 6 // - , जेमना हृदयमा 'अ-सि-आ-उ-सा' ए पांच अक्षरो वसे छे, तेमने मणि, मंत्र, औषधि * अने मूलियांओनी शी जरूर छे ? // 7 // / जे हर्षित मनवाळा पुरुषो 'ॐ-अ-सि-आ-उ-सा ' ए छ अक्षरो वडे नवकारनुं ध्यान करे छे, तेओनां पाप रहेतां नथी // 8 // - मंत्राक्षरोना पाठमा प्रयत्नशील जे ध्याता एकाग्र मनथी 'अ-सि-आ-उ-सा-नमः" ए सात अक्षरोनुं ध्यान करे छे, ते सात प्रकारनां दुःखोने पामतो नथी॥ 9 // 'अरिहंत-सिद्ध-आयरिय-साहु' ए सोळ अक्षरो वडे बनेलो मंत्र सर्व दुःखने हरे छे // 10 // ' हे भव्य ! ' नमो अरिहंताणं' वगेरे पांचे पदना पांत्रीस अक्षरो वडे बनेला परमाक्षरमंत्रनुं तुं हमेशां स्मरण कर // 11 // ... जेओ नव पदो वडे एटले के अडसठ अक्षरो वडे नवकारनुं एकसो आठ वार स्मरण करे छे, तेओनां पाप नाश पामे छे // 12 // 1. चउरक्खइ B / 10. लहइ B / 11. निवसिही BI