________________ अपभ्रंश आदि देशी भाषा विभाग [83-1 ] * [ अज्ञातकर्तृक] तेरस-भेअ-नवकार-पडल-सरूव-फलं / इग दु-ति-ति-चउ-पण-छ-सग-सोलस-पणतीस-अट्ठसट्ठीहिं / सगवीससय-तिसठसएण वण्णाण णिप्फण्णा // 1 // तेरस नवकार इमे, पत्तेयं सब्चि लैक्खवाराओ। जे गुणहि तिसंझं, ते बंधंति तित्थयरनामं // 2 // [ द्वारगाथाद्वयम् ] छ-दरिसण मंतक्खरहं 'उकार' जु सारु / सो परमक्खरु मणि धरहु, जं छिन्नेहु संसारु // 3 // 'उ सा' उए अक्खर सरहु, जि साहइ नियकज्जु / 'अ-सि-सा' तेअक्खरसरणि, पाबहु सिवपुरिरज्जु // 4 // परमेहि-णमोकारो, 'अरहं' तिहि अक्खरेहि जे सरहि / ते लंघिय सव्वभया, रिद्धी-सिद्धीजुया हुंति // 5 // ___अनुवाद। एक (1), बे (2), त्रण (3), चार (4), पांच (5), छ (6), सात (7), सोळ (16), पांत्रीस (35), अडसठ (68), एकसो सत्तावीस (127), अने एकसो त्रेसठ (163) वर्णो वडे निष्पन्न (बनेला) नवकारना आ तेर भेदोमां दरेकने जुदा जुदा लाखवार जेओ त्रणे संध्याए गणे छे, तेओ तीर्थंकर नामकर्म बांधे छे // 1-2 // (आ बे द्वारगाथाओ छ / ) 'ॐकार ' जे दर्शनोना मंत्राक्षरोनो सार छे, ते परमाक्षर ॐकारने धारण करो, के जेथी संसार छेदाइ जाय // 3 // 'उ-सा' ए बे अक्षरोनुं स्मरण करो अने पोतानुं कार्य साधो। 'अ-सि-सा' ए त्रण अक्षरोना स्मरण वडे शिवपुरना राज्यने पामो // 4 // 'अरहं ' ए त्रण अक्षरो वडे परमेष्ठि-नमस्कारने जेओ स्मरे छे, तेओ सर्वभयोने पार करीने ऋद्धि अने सिद्धिने पामे छे // 5 // * पूर्व प्रकाशित नमस्कार स्वाध्याय संस्कृत विभाग मां 82 सुधीना क्रमांको छे. ते पछीनो आ 83. क्रमांक छे. ते पछीनो क्रमांक 1 आ विभागना प्रथम संदर्भने सूचवे छे. 1 तिसहस्सपण R | 2. लक्खिवा R / 3. तित्थगर' R / 4. मंतक्खराहं B / 5. छिनउ BI. 6. जिम्महह निय° R / 7. सिवपुरिज्जु B / ८'रिद्धि-सिद्धि-जया BI