________________ विभाग नमस्कार स्वाध्याय सरहुं गुणहुँ पणरसपएहिं चउपन एगुणचत्त / चउति(ती)स चउसरणप्पभिई-सगवीस [सय] अक्खरं मंतु // 13 // संगवीसई सई अक्खरहे, पणतीस 'ॐ' क्खरजुत्तु / इह तेसठसय अक्खरउ, दुहहरु सुमरह मंतु // 14 // चत्तारि सरणं पवज्जामि-वगेरे पंदर (15) पदो वडे अनुक्रमे चोपन (54) ओगणचालीस (39) अने चोत्रीस (34) अक्षरो मलीने एकसो ने सत्तावीस (127) अक्षरना मंत्रनु तमे स्मरण करो, गणो // 13 // एकसो ने सत्तावीस अक्षरो तथा ॐ अक्षरयुक्त नवकारमंत्रना प्रथम पांत्रीस वणों सहित कुल एकसो ने त्रेसठ अक्षरना दुःखने हरण करनार मंत्रनु स्मरण करो // 14 // X प्रति-परिचय आ स्तोत्र जयपुरनिवासी पं. भगवानदास पासेना एक छूटक पत्र उपरथी पू. मुनिराज श्री अभयसागरजी महाराजे उतारेखें, ते नकल परथी अहीं लीधुं छे, जेनी B संज्ञा राखी छे अने पू. पं. श्रीरमणीकविजयजी महाराजे जेसलमेरना भंडारनी कोई प्रति उपरथी करेली नकल अमने मोकलेली ते उपरथी पाठांतरो लीधा छे तेनो अहीं R संज्ञा राखी छे / आ स्तोत्रने अनुवाद साथे अहीं प्रगट कयु छ / आ स्तोत्रना कर्ता कोण छे ते जाणी शकायुं नशी।