________________ (52) सेठियाजेनग्रन्थमाला को मुख्य कारण जानकर हमेशा इसे पवित्र रखने का अभ्यास करना चाहिए / 48 शान्ति के समान दूसरा तप नहीं, संतोष के वरावर दूसरा सुख नहीं, तृष्णा तुल्य दूसरी व्याधि नहीं और दया से बढ़कर कोई धर्म नहीं / ... 46 क्रोध यमराज है, तृष्णा वैतरणी नदी है, विद्या कामधेनु है और सन्तोष नन्दन वन है। 50 गुण रूप को भूषित करता है,शील कुल को अलंकृत करता है, सिद्धि विद्या को भूषित करती है और भोग धन की शोभा बढ़ाते हैं। 51 गुणहीन का सुन्दर रूप व्यर्थ है, शील रहित का कुल निन्दित होता है, सिद्धि के विना विद्या व्यर्थ है, दान-भोग के विना धन निरर्थक है। ___52 भूमि पर बहता हुआ जल पवित्र है, पतिव्रता स्त्री शुद्ध है, प्रजा में कुशल क्षेम रखने वाला राजा पवित्र है और ब्राह्मण संतोषी पवित्र है। 53 असंतोषी ब्राह्मण और संतोषी राजा निंदित गिने जाते हैं, तथा लज्जा वाली वेश्या और लज्जा हीन कुलांगना निन्दा की पात्र होती हैं। 54 विद्या हीन मनुष्यों के विशाल कुल से क्या लाभ ? विद्वान मनुष्यों का नीच कुल भी देवों से पूजा जाता है /