________________
उपदेशमाला
विशेषवृत्तिः ॥ ३९ ॥
जण दु
वयसम सामि विन्नत्त तेहिं । वियर मच्छु वच्छरिङ दाणु, पसराव जाव सिर ज्वरि भाणु ॥ १३ ॥ मोत्तियमरगयमाणिक्कअंक, मणिकंचणकं' कणकिरीडचक । हयगय रहपडिकप्पडपडप्प, मग्गणजणाहिं दिज्जई अणप्प ।। १४ ।। इय तीसहिं वासिहिं बिहि, उवासिहिं चंदtपह सीवीयाए एगओ । अवरण्हह गिoes वह तारुन्नइ, मग्गाइम दसमीहिं वउ ।। १५ ।। तहिं खणि मणपज्जाउ जिणिंदह, उत्पन्नउ पयपणयसुरिंदह । विहरिवि नाइसंडवणहुंतउ कुलसन्निवेसिय पहु पत्तउ || १६ || गोवुवसग्गि निसिहि संतावि, बलवंभणि पायसु पाराविउ । सहइ दुवालसवास सुदुस्सह, सामि उग्गउवसग्गपरीसह ॥ १७ ॥ कहिं विकराल - तालउत्ताला, भेसहिं भीसणतणुवेयाला । कहिंवि सुमत्तदंतिदंतग्गल, दुक्कहिं चुक्कचित्तकोवग्गल ॥ १८ ॥ कत्थवि खरनहरं कुरदुद्धर-केसरिकेसरभासुरखंधर । कत्थइ फुडफुलिंगफार फण-कुडिलकरालकालफणि उवण ॥ १९ ॥ जिव मेरुमहीहरु सिहरनिरंतरु, नहु वायहिं कंपावियइ । उवसग्गपरीसहि अइसय दुसहि, धीरूतेव किं चालियइ ॥ २० ॥ वरिसि दुबालसि महि विहरंतउ, दुसह परीसह अहियासितउ । उग्गुवसग्गिवग्गु अपमत्तउ, सामि विसालु को बिहि पत्तउ ॥ २१ ॥ नवउ नियमु तहिं लेइ जिणेसरु, एयारिसु तिहुयणपरमेसरु । रायकन्न निरु असरिसवेसिहि, रोयंती सिरमुंडियकेसिहि ॥ २२ ॥ गुत्तिनिहित्तनिया(वाणियनीसहिं, निगडनिज्जंतिय तिहि उववासिहिं । सुप्पकोणि कुम्मास करेविणु, घरउंबरु पयअंतर देविणु ||२३|| भिक्खकालि जइ टलियइ जइ जत्थइ, तो पारइ पहु अन्नह नेच्छइ । पइदिणु पविसइ सामिउ भिक्खह, दुसहपरीसह सहइ तितिक्खह ||२४|| खंडखीरिखज्जूरकरंबय, विहरावहि किवि मंडी मंडय । अवर दिति वरलड्डय लेविणु पहु न लेइ पुणु जाइ वलेविणु ।।२५।। पइदिणु हिंडतह दुरियदलंतह, अहियासंतह भुक्खतिस । चउमास अइच्छिय भिक्ख न इच्छिय, तणु हुई सामिहि सुसि ||२६|| सियाणि उध्धुरु, समइ तंमि कोसंबिहि बंधुरु । हुंति तासु मिगावइराणी, चेडारायह धूयपहाणी ।। २७ ।। सिरि तिसलादेविहि भत्तिज्जी, सामिहि माउलभइणि मणोज्जी । जाणिउ तीए पुरीहिं वसंत, अभिग्गहिउ घरिहि विहरंतर ॥ २८ ॥
१ कडय BD I
चंदनबाला
पारणा
सन्धिः ।
रमा
॥ ३९ ॥