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उपदेशमालाकुमारः-आगंतव्वमवस्सं दक्खिन्नअखिन्नमाणसा सुयणा । जइ न तुममेसि ताहं होई एत्थेव वत्थव्वो ।। २९६ ॥ सचिवेहिं INI
10 रणसिंहकथा निच्छयं पेच्छिऊण कुमरस्स सो तहा भणिओ। जह सह चल्लइ तब्वेलमेव जायं पुण पयाणं ॥ २९७ ।। उवविसइ चलइ विशेषवृत्तिः चिट्ठइ जेमइ जम्गेइ सुयइ कीलेइ। पडिबिंबो व्व कुमारो सव्वं तेणेव सह कुणइ ।। २९८ ॥ कइयावि भावसभावभावणत्थं दिएण
सो वुत्तो। केरिसिया कमलवई जीए कए तम्मसि तमेवं ॥ २९९ ॥ कुमरेणुत्तं तीए वन्निज्जइ किर किमेगजीहाए । सा तेण ॥२०॥
पयावइणा गुणमइया चेव निम्मविया ॥ ३०० ॥ रूवं रइरूवनिभं लायन्नं गिरिसुयाए सारिच्छं। सुंदेरं देवीण वि न दीसइ तारिसं सामि ! ॥ ३०१ ॥ संपइ भुवणमसेसं विसं व मन्नामि मित्त ! तीए विणा । किंतु मह तुज्झ पासे मणय संपज्जए सो
क्खं ॥ ३०२ ॥ भणियं दिएण सुंदर ! मा तम्मसु एत्तियं कए तीसे । ' अवहरियं जं विहिणा सोयंति तयं न सप्पुरिसा' । ॥ ३०३ ॥ अणवरयपयाणेहिं कुमरो पत्तो पुरीए सोमाए । पञ्चोणीए करिहरिरहेहिं पुरिसुत्तमो पत्तो ॥ ३०४ ।। पुरिसुत्तमेण
पुरिसुत्तमेण परमूसवेण सोमाए । उम्भिय - तलिया-तोरणधयाए स पवेसिओ कुमरो ।। ३०५॥ धवलियसचित्तभित्ति सम|| प्पिओ तस्स पवरपासाओ। जोइसिय विसोहिय-वारजोगनक्खत्तलग्गमि ।। ३०६ ।। मंगलतूररवेणं नञ्चिरवरविलयसत्थसुत्थेणं ।
वित्तं पाणिमाहणं कुमरेण समं कुमारीए । ३०७ ॥ कइवयदिणाणि तत्थेव धारिओ पत्थिवेण रणसीहो। संवसइ सुहेणं सह दिएण हिययंगमकहाहिं ।। ३०८ ॥ रयणवइ रयणीए पुच्छइ पियमेगया पणयसारं । केरिसिया कमलबई मया वि जा हरइ तुह हिययं ॥ ३०९ ॥ अतणुमणोरहमालाहिं मज्झ आय-तओ तुम एत्थ । वसाणीनी जीए पहंतरालंमि तो २वलिओ ।। ३१० ।। भणियमिमेणं जइ नाम दीसए कावि तारिसी तरुणी । ता तुह साहेमि तहाविहेण तेणोवमाणेण ॥ ३११ ।। तीए विओए जाए विहिवावारेण तंपि परिणीया । खीरी न जाव लब्भइ ता खज्जइ अंबखलियावि ॥ ३१२ ॥ सामरिसाए तीए तओ सगव्यं पसाहिअं सव्वं । जह गंधमूसिया सा पब्बाइ पेसिया तुरियं ॥३१३॥ जह परपुरिसपसंगो पदसिओ चेडगप्पओगेण । जह तुह तीए
१ अब्भहिय RDI २ लविओ C DI विणवाए तओ।
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॥२०॥