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उपदेशमालाविशेषवृत्तौ
॥४२८॥
दस दस दिवसे दिवसे, धम्मे बोहेइ अहव अहिअयरे । इअ नंदिसेणसत्ती, तहविय से संजमविवत्ती ॥ २४८॥
10 प्रतिदिन दश'संजमविवत्तित्ति-चारित्रस्याभावः । नन्दिषेणाख्यानकं चेदम्-रायगिहे सेणियरायअंगओ आसि नंदिसेणो त्ति । तारुन्नयंमि |
10 प्रतिबोधकतारुन्नयंमि लायन्नपुन्नतणू ॥१॥ सिरिवीरसामिसद्धम्मदेसणं सो कयाइ सुणमाणो । पडिबुद्धो पत्थइ तित्थनाह ! मह देह दिक्खं ति |NT ॥२॥ भवओ भग्गमभगं, भोगफलं अस्थि नत्थि वयसमओ । इय भुवणभाणुणा सो, भणिओ तो देवयाए वि ॥ ३ ॥ निय
कथा। पुरिसयारसाहस-निहिस्स पुरिसस्स । किं कुणइ कम्ममेयं पि, पहु कयं नणु सयं चेव ॥ ४ ॥ सयमेव सुठु तानि-वेमि तं लढुकढचेदाहिं । हे कडपूयणि ! को गणइ, तं तु कि वा विजाणेसि ॥ ५॥ इय नवतरुणिमरमणीय-रत्तअंतेउरेण सह सव्वं । सिवयं च लग्गलगं, तणं व रज परिचज ।। ६ ।। पडिवज्जिऊण पव्वजमागमं आगमित्तु तत्तरुई। विहरइ एगल्लविश्व-पडिमपडिवन्नओ स तओ ॥ ७ ॥ कहमवि कयाइ वेसापासाए सो गओ अणाभोगा । पिंडवडियाए पभणइ, गुरुधणिणा धम्मलाभो त्ति ॥ ८ ॥ अह उद्विऊण सविलास-मांसलामोय-मणहरंगीए । परिहासपेसलाए, भणियं भण दम्मलाभोत्ति ॥ ९॥ किं कुणइ अम्ह धम्मो, दम्मो च्चिय एत्थ अग्घइ मुणिंद !। अक्खरवित्तपवित्तो, वि तुलइ दम्मेण नहु धम्मो ॥ १०॥ गणियंगणाण गेहे, धणचंगा चेव गोरविजंति । निद्धणचंगा रायंडगया वि गरहं चिय लहंति ॥ ११ ॥ता सामरिसो सो, नंदिसेणसाहू करे करेऊण । पडलाउ तणं पभणेइ, पडउ पडउत्ति झत्ति तओ ॥ १२ ॥ मरगयमोत्तिय माणिक-अंकहीराइरयणधणवुडशी नियलद्धीए तेणं । निवडिया देवयाए य ॥ १३ ॥ भणियं मुणिणा एसो, हासपरे होइ दम्मलाभो ते । केत्तियमेत्तं सत्तं व, निहीण धम्मो य दम्मो य॥ १४ ॥ चिंतियमिमीए एसो, अहह महप्पा धीमहानिही कोइ । मह पुव्वजम्मनिम्मिय, पुनपवंचेणमुवणीओ ॥१५।। खोहेमि य बोहेमि य, ता तत्तं मारसारसोक्खाणं । जउगोलो कढिणो ताव, जाव जलणं न पावेइ ॥ १५ ॥ नीहरमाणो परिहास-पेस
16॥४२८॥ लाऽऽलावमासलाए तओ। तीए वुत्तं भाडि, दाऊण न लब्भए गंतुं ॥१७॥ कुरु पाणपिय! पसायं, पायविलग्गाए निययदासीए । मह पाणेहिं पयाणं, पारद्धं सह तए चेव ॥ १८॥ भवियव्वयावसाउ, अणुसयपरवंतरीपवंचाउ । विसयाणुसंगमग्गे, लग्गे चित्ते
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रिसो सो, माद ॥ गणियंगणा कुणइ ।
॥ १३ ॥ भणियं मुणिण
नही कोइ । मह पुव्वजम्मनिम्मिय
नहरमाणो परिहास-पेस