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________________ उपदेशमालाविशेषवृत्तौ ॥४०३॥ मन्न, अह जाए पयडपंढरपभाए । केगरिपर, ॥ २७ ॥ अनंगअंगमइया-मनसतह-सोहासकुमा सुकुमालिकाकथा । zeezmeroecemezoneeroeceozenecare तेहि मुक्का मसाणंमि ॥ २४ ॥ अइसिसिरनिसिसमीरणलहरीहिं लद्धसुद्धचेयन्ना। चिंतइ चत्ता है भाउगेहिं ही जीवमाणी वि ॥२५॥ मह निम्विन्ना मन्ने, अह जाए पयडपंडुरपभाए । केणवि सत्थाहेणं, पलोइया पहपयट्टण ॥ २६ ॥ रमणीयरूवरेहा-रंजियचित्तण तरुणकरुणाए । सगडे चडाविऊणं, नीया निययंमि नगरघरे, ॥ २७ ॥ अभंगअंगमद्दण-मजणयविलेवणाऽसणाईहिं । तंबोलअलंकारंऽसुगेहिं पडिजागरावेइ ।। २८॥ तिचउरवासरसारोवयारमिते सजिया जाया । नववियसंतसरोरुह-सोहासुकुमारफारंगी ॥२९।। हरिहीरपुरंदरकामकामिणीणं पि गव्वसव्वस्सं । अवहरमाणी जाया, कइवयदिवसेहिं सा सुमुही ॥ ३०॥ पइदिवसदसणाओ, आलावाओऽसणाइदाणाओ। ताण परोप्परमणुरायसायरो सायरं खुहिओ ॥ ३१ ॥ उक्तं हि केनचित्-" ताम्बूलं कुसुमसुगन्धयः | समीराः, सौधेषु प्रतिफलिताः शशाङ्कभासः। वाचश्च प्रणयरसामृतद्रवा , दूतीनां बत न हरन्ति कस्य चेतः ॥ ३२ ॥" विसयसुहमणुहवंतीए, तीए सह तेण सत्थवाहेण | वोलीणो कालो कत्तिओ वि, अह दोवि कइयावि ॥ ३३ ॥ ते ससगभसगसाहू, सहेव सत्थाहमंदिरदुवारे । भिक्खटाए पविट्ठा, दिट्ठा सुकुमालियाए लहुं ॥ ३४ ।। तो ओलक्खिय उक्खणिय, तिक्खदुक्खा विलक्खरुक्खा य। पणमिय पाए पोकारतारतारस्सरं रुयइ ।। ३५ ।। संबोहिया हियाहिं, गिराहिं परमत्थसत्थसाराहिं । सत्थाहाणुनाए, विहिणा पव्वाविया तेहिं ।। ३६ ॥ परिपालियपव्वज्जा, समए मरिऊण सा गया सग्गं । इय मुणिय इंदियाणं, निययाण न वीससियव्वं ॥ ३७ ।। इति ससकभसकभगिनी सुकुमारिकाकथा ॥ १८२ ॥ अथात्मनो दुईमत्वादिद्वारेण शिक्षा रूपकाष्टेनाह खरकरहतुरयवसहा, मत्तगइंदावि नाम दम्मति । इक्को नवरि न दम्मइ, निरंकुसो अपणो अप्पा ॥ १८३ ॥ वरं मे अप्पा दंतो, संजमेण तवेण य। माऽहं परेहिं , दम्मंतो, बंधणेहिं बहेहि अ॥ १८४ ॥ अप्पा चेव दमेयव्वो, अप्पा हु खलु दुद्दमो। अप्पा दंतो सुही होइ, अस्सि लोए परत्थ य ॥ १८५ ॥ निचं दोससहगओ, जीवो अविरहियमसुहपरिणामो। नवरं दिने पसरे, तो देइ पमायमयरेसु ॥१८६ ॥ Doordarncomcomcccc ॥४०३॥
SR No.023515
Book TitleUpdeshmala
Original Sutra AuthorN/A
AuthorUnknown
PublisherUnknown
Publication Year
Total Pages574
LanguageSanskrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size15 MB
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