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उपदेशमालाविशेषवृत्तौ
॥ ३४९॥
अमुगा, पज्जोयनराहियो अहमिमिणा । हीरेमि अभयवणिणा, एवं विस्सासिए लोए ॥ १३ ॥ सत्तमदिवसे दूइ, पेसविया ताहिं सा इमं भणिया । एउ इह एगागी, दिणद्धसमयंमि नरनाहो ॥ १४ ॥ मयणाउरो अचिंतियपरिणामो गिहगवक्खभित्तीए । लग्गो अभयस्यपुवनिवेसियमणुएहिं दढं च पडिवन्नो ॥ १५ ॥ बद्धो पल्लंकेणं, समंतओ नीणिओ दिवसओ वि। पुरमझे(ग्गे)णं अभओ, राज्यग्रहणाभणेइ विज्जाऽऽलय एसो ।। १६ ।। निजइ एवमसंबद्धभासगो वाउवेगवाउलिओ। तत्तो आसरहेहिं, रायगिहं पाविओ खिप्पं ॥१७॥ ऽनिच्छा। नायं सेणियरन्ना, असिमुग्गिरिय पहाविओ जाव । अभएण वारिओ ता किं, किजउ भणइ तो अभओ ॥ १८ ॥ एसो महप्पभावो, राया बहुमाणणिजो य । सकारिता महयाऽऽदरेण नयरं नियं चेव ॥ १९ ॥ पाविजउ तह विहिए, अहेसि परमा परोप्परं पीई । अभयस्स रजकजेसु, उज्जमंतस्स जंति दिणा ॥ ३२० ॥ अह कइवयदिवसंते, अमयमयालोयलोयणाणं जे । हल्लविहल्ला ते चेल्लणाए जाया जमलपोत्ता ॥ २१॥ सह पिउणा पत्ताणं, पुत्ताणं ताण रायवाडीए । सुसिणिद्धं सुसिणिद्धा, महुररसालं गुणविसाला ॥ २२ ॥ वरखंडलड्डुयाई, माया पेसेइ पेसलं विउलं । पढमालियानिमित्तं, इयरस्स उ विरसचित्तेण ।। २३ ॥ विरसमरसालमप्पं गुल-पप्पडिगाइ जंपि किंपि तओ। चिंतइ स तायवेराणुभावओ तेण विहियति ॥ २४ ॥ अहिअयरंतो ताए, पओसमावहइ होइ दुम्मणओ। राया कयाइ चिंतइ, दाउं अभयस्स रजसिरिं ॥ २५ ॥ अभयकुमारो उ तिलोयनादिक्खाए लद्धलक्खमणो । पुच्छइ सामि कइ नाम, नाह ! इह भारहे वासे ॥ २६ ॥ मउडालंकारधरा, धराहिवा साहुणो भविस्संति । सामी ताणमुदायणमंतिमसाहुं समाइसइ ॥ २७ ॥ तो रजं दिजंतं, वज्जिय पव्वजउजओ जाओ। नवरं सेणियराओ, अणुजाणइ अजवि न एयं ॥ २८ ॥ संतेउरपरिवारो, अहऽन्नया सेणिओ जिणं नमिउं। अवरन्हंमि नियत्तइ, कहवि पहे चेल्लणाए तओ ॥ २९॥ | नइरोहोवरि एगो, काउस्सग्गेण संठिओ दिवो । हिमदिवसे सुतवस्सी, तवं सुतिव्वं तवेमाणो ॥ ३३०॥ सेणियसयणिजे सुत्ति-IN याए रत्तीए चेल्लणाए तओ। सीओढणाहिं बाहि, बाहुलया निग्गया कहवि ॥ ३१॥ सिसिरसमीरणलहरीए, किंपि कंटालिया
॥ ३४९॥ तओ तीए । अइसयसीयसबाह, साहुं तं चिंतयंतीए ॥ ३२ ॥ भणियं सो कह होही, एयं राया निसामिऊण मणे । परिभावइ
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