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उपदेशमालाविशेषवृत्तौ
॥ २९७ ॥
पुराई । अनिबिडवम्महुम्माहमासलो परवसो होइ ॥ ५२॥ करधरियद्धनियंसिय- कडिल दोगुल्लपल्लवपयासा । अकलियकंचुयअवरिल - अंबरा कवि एइ प ( हुँ) || ५३ ॥ अवरा रोयंतं पिहू थर्णधयं उररुहाण पाणकए । जह तह भूमीए छडिउणमागच्छए इच्छं ॥ ५४ ॥ कुर्वते वरहंतीगंठिं कंठंमि देइ बालस्स । बलरूवालोयणवाउलावरा कुंभभंतीए ।। ५५ ।। भिक्खं दिती एगा, मुहकमलाssलोयणेकतलिच्छा । पत्तंमि अपत्ते श्चिय, पक्खिविरिओ न याणाइ ॥ ५६ ॥ इय असमंजसमिक्खिय, बलदेवमहामुनी कुइ नियमं । पुरनगरागरगामाइ - मज्झयारे न पविसामि ॥ ५७ ॥ अच्छउ वणमज्झगओ, तवं ततो मएकपरिवारो । पारेइ तया जइ एइ, तत्थ पहिओ व सत्थो वा ॥ ५८ ॥ नासग्गनिहियनयणो, पलंबलंबियपयडभुयदंडो पाएण काउसग्गेण, चेव अच्छेइ झायंतो ॥ ५९ ॥ बलदेवमहागुणी, अमयमुत्तिआ लोयजायवीसासो । कुणइ कुरंगो एगो, जाइसरो पज्जुवासणयं ॥ ६० ॥ पुणु पुणु पडेइ पाएसु, पास टिरिटिलियाई पकरेइ । मायं तायं भायं व, मन्नए तं पमोएण ॥ ६१ ॥ मुहकमलाऽऽलोयणलोललोयणो उट्टिओ निसन्नो वा । अणवरयं पुच्छच्छडमच्छर्इ पुरओ पचालितो ॥ ६२ ॥ पहिओ सत्थाहो वा, पण जो तेण जाइ अह ठाइ । ते जाणावर मुणिणो, ताण य तं इंगियसएहिं ॥ ६३ ॥ अह रहगारो एगो, कयाइ तत्थागओ चडगरेण । आवासिऊण सगडाणि, भरइ दारुणि छिंदित्ता ॥ ६४ ॥ हरिणो तत्थागंतुं, आयरओऽणेगइंगियागारे । वारंवारं दंसेइ, तस्स पुण जाइ पुण एइ ॥ ६५ ॥ अह रहगारो पुच्छर, अडविकुरंगो किमेस वीसत्थो । किं एइ जाइ कत्थ व क इंगियाssगारवित्थारो ॥ ६६ ॥ निउणं निरूविऊणं, नरेहिं कहियं नहेस मुणिपासे । गच्छइ पुणरागच्छइ, इच्छइ भिक्खं च दावे ॥ ६७ ॥ रहगारेणं सयमेव तत्थ तूण बंदिऊण मुणी । भणिओ भंते! भिक्खं, गेण्हह आगच्छह इयाणि ।। ६८ ।। अह रहगारो पुरओ, इरियासमिओ मुणत जाइ । अणुमग्गेणं लग्गो, अरं कुरंगो वि संचलिओ ॥ ६९ ॥ तसपाणबीयरहिओ, ठिओ पएसे महामुणी गंं । तडवियलोयणो हरिणओ विचिट्ठइ समीवंमि ॥ ७० ॥ एत्थंतरंमि करकलिय-भत्त- सत्तुग-घयाइभिक्खभरो। रहकारो पडिलाभइ, साहू पत्तं पसारेइ ॥ ७१ ॥ हरिणुहओ वि हरिसुल्लसंतवाहप्पवाहपुन्नत्थो । चिंतेइ अइधन्नोहं, मद्द नाहो अज्ज पारेही ॥ ७२ ॥
अनुमोदने बलदेव-मृग
रथकार
कथा ।
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