________________
उपदेशमालाविशेषवृत्तौ
eepeezameezmercaeezoercreepermeae
दाणमाईहिं । उवचरिया तो तीए, भणिओ सो कहसु कजंति ॥ ८॥ वज्जरियं तेण तए, भणियव्वो तह कहपि मंतिवरो। जह | रायपुरो कव्वं, पढंतयं में पसंसेइ ॥ ९॥ पडिसुयमिमीए वुत्तो, मंती किं वररुई न सलहेसि । तेणं पयंपियं कह, मिच्छा
तीव्रतारादिद्धि पसंसामि ॥ १० ॥ अह पुणरुत्तं तीए, भणिरीए पडिसुर्य अमच्चेण । रायपुरो पढमाणो, पसंसिओ सो सुपढियंति ॥११॥
IN धने स्थूलभद्रतो अदुसयं रन्ना, दीणाराणं दवावियं तस्स । जाया पइदिवसंपि हु, एत्तियमेत्ता य से वित्ति ॥ १२ ॥ अत्थक्खयं पलोइय,
|मुनिकथा। भणियममच्चेण देव ! किमिमस्स । दिजइ वजरइ निवो, सलाहिओ जं तए एसो ॥ १३ ॥ भणियममच्चेण मए, अविणटुं भणइ लोयकव्वंति । सलहियमेयस्स तओ, रन्ना पुट्ठो कहं एवं ॥ १४ ॥ तेणं भणियं मझ, धूयाओ वि हु पढंति जे एवं । उचियसमए य पत्तो, पढणत्थं वररुई प(त)त्तो ॥ १५॥ जवणियअंतरियाओ, धरियाओ मंतिणा सधूयाओ। जक्खाए पढमवाराए, अहिगय से पढंतस्स ॥ १६ ॥ तो तीए नरवइणो, पुरओ अविणटुमुच्चरंतीए । वाराहि दोहिं बीयाए, आगयंतीए वुत्तमि ॥ १७ ॥ तइयाए वाराए, तइयाए अहिगयं च वुत्तं च । एवं वारावुड्ढीए, सेसिगाहिं पि उवलद्धं ॥ १८ ॥ तो कूविएणं रन्नादूवारमवि वारियं वररुइस्स । पच्छा सो गंगाए, जंतपओगेण दीणारे ॥ १९ ।। ठविऊणं रयणीए, पभायसमयंमि संथवं काउं । पाएण हणइ जंतं, तत्तो गिन्हेइ दीणारे ॥ २० ॥ भणइ य लोयाण पुरो, थुइतुद्वा देइ मज्झ गंगत्ति । कालंतरेण रन्ना, सोउं सिटुं अमच्चस्स ॥ २१ ॥ तेणं भणियं जइ मह, पुरो इमा देव ! देवता देउ । वच्चामो य पभाए गंगाए पडिस्सुयं रन्ना ॥२२॥ अह मंतिणा वियाले, पच्चइओ नियनरो समाइट्ठो। गंगाए पच्छन्नो, अच्छसु जं वररुई सलिले ॥ २३ ॥ किंपि हु ठवेइ तं गिन्हिऊण तं भद्द ! उवणमेजासु । गंतूण नरेण तओ, आणीय दम्मपोट्टलिया ॥ २४ ॥ गोसंमि गओ नंदो, मंति य पलोइओ थुणंतो सो। गंगजले निव्वुडो, थुइअवसाणंमि तं जंतं ॥ २५ ॥ करचरणेहिं सुचिरंपि, घट्टए जाव वियरइ न किंपि । अञ्चंतविलक्खणत्तण-मणुपत्तो वररुई ताव ॥ २६ ॥ पायडिया सयडालेण, राइणो सा य दम्मपोट्टलिया । हसिओ य राइणा तो कुविओ मंतिस्स उवरि तओ ॥ २७॥ चिन्तयति च-" पादाहतं यदुत्थाय, मूर्ध्वानमधिरोहति । स्वस्थादेवापमानेऽपि, देहिनस्तद्वरं
| ॥२३५॥