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________________ उपदेशमालाविशेषवृत्तौ ॥ २२९ ॥ पय पर्णामि विपुच्छइ मुणिकुमार, ते देवइ तो वरभत्तिसार । किं तुम्ह साहु दिसिमोहु एहु, जं वार वार मह घरि उहु ||१४|| अह हह न कत्थइ एत्थु थामि, धणधन्नसमिद्धइ भिक्ख सामि ! | अंतरियचित्ति अहह्वावि अम्हि, अवरे वि मुणामि ते चेव ( अ ) तुम्हि ||१५|| अह पभणहिं साहु महाणुभावि !, परमत्थु कहहुं (सु) मुणि एक भावि । भद्दिलपुरि अच्छइ नागसिट्ठि, तसु सुलसभज्ज पइपेम्मसिट्ठि ॥१६॥ जिणधम्मि रम्मि अणुरायरत्त तो दोवि देवगुरुपायभत्त । सुय अम्हि ताहं सुमरिक्खरूव जण छावि पुन्नकारुन्नकूव ॥१७॥ बुद्ध धम्मदेसण सुवि, महि विहरहुं नेमिहिं दिक्ख लेवि । ता जाणउं तिहिं संघडएहिं परिवाडि पत्ता ते तुज्झ गेहिं ॥ १८ ॥ इसा निसुणंती हरिसु वहंती रोमंचंचियकायलय । मुणि दोविति वंदइ मुहु अहिणंदर चिंतइ तक्खणि तो सगया ॥ १९ ॥ हउं जाव नियउ ए साहूसीह, हरितुल्लरूव रज्जह निरीह । ताव सइ हसइ विहसेइ चित्तु, नं अभियवारि नयणिहि निहित्तु ॥२०॥ कय सत्तरू किर कन्हु एसु, सिरिवच्छसुलं छियवच्छदेसु । हउं बालकालि अइमुत्तिवृत्त, जीवंत जगुत्तम अट्ठपुत्त ||२१|| ता होहि महारा अंगजाय, ते छावि साहु निरु कन्हभाय । हयविहि विलासि केणावि पत्त, तहिं सुलसनागमंदिर सुगत ||२२|| पसरुट्ठिय जाइवि जिणसगासि, सो पुच्छिसुमिच्छइ नाणरासि । नियपाणि परिट्ठियकंकणेण, किर काई करेवर दपणेण ||२३|| रवि उग्गमि देव पत्त देवि, जिणनाह पासि रहि आरुहेवि । पणमित्तु पुरट्ठिय सा सुनाणु, बोल्लावइ अवसर भुवणभाणु ||२४|| ससुरासुर परिसहि धम्मुक्करिसहि तसु टगमग जोयंतियहि । देवइ आमंतिवि गुरु अणुचिंतिवि सामि पपइ दयउदहि ||२५|| पइँ धम्मसीलि चितिउ जं चित्ति, तं सच्चु चेव नहु कावि भंति । ते पुत्त तुज्नु हरिणेगमेसि, संचारिय अवसरि सुलस रेसि ||२६|| मयवच्छहि ताहि छ अंगजाय, तुह अप्पिय कंसह मारणाय । नियतणय विओगविवागगम्मु, तुह फलिड एड किउ सई जु कम्मु ||२७|| परं पुव्वभवंतरि रयणरत्त, अवहरिय सवक्किहिं आसि सत्त । तहिं ठावि मुक्कारकाचखंड, सुसरिक्खरुवकारि अखंड ||२८|| विलवंतियाए तसु ताह मज्झि, पई एक्कु तमप्पिड सुगुणमज्झ । इय सत्तरयणचोरिक्कतणड, पई पत्तउ फलु मणदुक्खु घणउ ||२९|| जं खणिण पुणऽप्पिड रयणु एगु, तिणि हरि जणेइ तुह सुह अणेगु । इय सुणिवि देवि देवइ निरुत्तु, महु महुरु नेमिजिणनाह वुत्तु ॥३०॥ क्षमायां गजसुकुमालमुनिसन्धिः । ।। २२९ ।।
SR No.023515
Book TitleUpdeshmala
Original Sutra AuthorN/A
AuthorUnknown
PublisherUnknown
Publication Year
Total Pages574
LanguageSanskrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size15 MB
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