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न कुणइ पुव्वं व कम्ममइरम्मं । जाणियवुत्तंतेणं, वुत्तं तो माउलेणमिणं ॥ १३ ॥ मा सुण जणभणियाई, धूयाओ तिन्नि मह उपदेशमाला
सुरुवाओ। एयाओ संति तासिं, जेटुमहं तुज्झ दाहामि ॥ १४ ।। तव्वयणाओ सुमणो, होउमिमो कुणइ सुद्छु घरकम्मं । पत्तो वसुदेवपूर्वविशेषवृत्तौ
विवाहसमओ, तो भणिया माउलेण सुया ॥ १५॥ वच्छ ! इच्छसु एय, भत्तं भत्तारमइसुहसहावं । सा भणइ ताय ! न इम, भवे नंदिषेणनियमा मरणे वि परिणेमि ॥ १६ ।। पुणरवि विसन्नचित्तो, वुत्तो दाहामि वच्छ ! बीयसुयं । पत्ते विवाहसमये, सा विन तं महइ IN मुनिसन्धिः। थुक्केइ ॥ १७ ॥ उवचरइ पायपक्खालणाइणा तइयधूयमयमणिसं । परिणयणकए भणिया, अकोसइ सावि थुक्केइ ॥ १८ ॥ तत्तो दुरंतदोहम्गदुक्खदूमियमणो स नीहरिओ। अक्कोसिओ इमाहिं, रइमलहंतो गिहे तत्थ ॥ १९ ।। परिभमइ महीवीढे, भोयणवत्थाइएहिं परिहीणो। अञ्चं दीणमणो, मिक्खावित्तीए जीवंतो ॥ २० ॥ अइभिक्खभुक्खअइसोगरोगदोहरागदारुणदुहत्तो। परिचिंति पवत्तो, धीधी मह जीवियव्वस्स ॥ २१ ॥ जं सरिसे वि हु मणुयत्तणमि तुल्ले वि इंदियग्गामे । भिक्खाए जियामि अहं, एगे विलसंति इह धन्ना ॥ २२ ॥ एगे वहति सोगं, अन्ज न अम्हेहिं किंपि दिन्नंति । अज्जवि न किंचि लद्धं, अहं तु एवं किलिस्सामि ॥ २३ ॥ छडिज्जइ धम्मकए, एगेहिं समुध्धुरा वि नियरिद्धी। बहुठाणजज्जरं पि हु, न चएज्जए खप्परंपि मए ॥ २४॥ एगे खिवंति चक्, संतीसु वि नेव पवरतरुणीसु। संकप्पोवणयासु वि, अहं तु तोसं परिवहामि ॥ २५ ॥ जच्चकणयच्छवि पि हु, एगे जपंति असुइयं देहं । रोगसयविहुरियं, अप्पणो य तमहं तु सलहेमि ।। २६ ॥ जय जीव नंद एवं, एगे थुव्वंति मागहजणेण । अक्कोसिज्जामि अहं तु, निनिमित्तंपि भिक्खगओ ॥ २७ ॥ फरुसंपि पयपंता, जाणिति एगे जणाणपरिओसं । आसीसाओ दिन्तो वि, अद्धचंदं लहामि अहं ।। २८ ॥ अइपउरपावनिहिणो, निहीणचिटु(वित्त)स्स दुक्खतत्तस्स । किं जीविएण मह नणु, मरणं चिय दुक्खविसारो ॥ २९ ॥ इय चिंतिऊण सुचिरं, अमुणतो रम्मधम्ममग्गमयं । वेभारसेलसि| हरं, आरुहई जाव मरणत्थं ॥३०॥ ता अंतराणमम्गे, सगपवम्गेसु गमणनिस्सेणी । तेण कयकाउस्सग्गो, एगो दिवो महा
॥ २२३॥ NI साहू ॥ ३१ ॥ तवतेयनिरंतरताररूवरेहाभिराममुत्तीए । जो सहइ रयणनिम्मलथिरथोरथंभोव्व ॥ ३२ ॥ नासावंसनिवेसियथिरम
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