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उपदेशमालाविशेषवृत्तौ जम्बूचरित्रे
सयलंपि । सह मित्तमंडलीए, सइ कीलइ काणणाईसु ॥ ८१ ॥ पुणरवि सुहम्मसामी, समागओ रायगिहपुरदुवारे। जंबुकुमारो
||जम्बुकुमारजाणिय तदागमो निग्गओ नमिउं ॥ ८२ ॥ आरामसमोसरियं, पणमित्तुं पहुं पुरो निसन्नो य। हरिसियहियओ निसुणेइ, देसणं मउलियग्गकरो ॥ ८३ ।। लद्भूण माणुसत्तं चोल्लगदिदंतदुल्लहं लोए । मा मा पमायमइरामत्ता विहलेह लेह फलं ॥ ८४ ।। जेण
IN ब्रह्मनियमः। मरुलहरिपिल्लियतरुपल्लवलोलमाउ जीवाणं । जोव्वणमुव्वणं मयणाभिरामरामा कडक्खचलं ॥ ८५ ।। जरजज्जररुक्खो विव, काओ रोगाइपन्नगनिकाओ। रमणीओ विमणीओ, उरगाण व अइदुगेज्झाओ ।। ८६ ॥ अइसयतरला लच्छी, वच्छच्छाया जहा अणत्थावि । पियजणसंजोगो जोवि, सो वि संपावियविओगो ॥ ८७ ॥ इय भवभावे परिभाविऊण सव्वेवि भंगुरसहावे । सासयसोक्खे मोक्खे, जुत्तो जत्तो सया काउं ॥ ८८ ॥ स पुणो पव्वज्जाए, अणवज्जाए पवजियाए भवे । बीएण विणा किं सा, लगेइ साली सुखेत्तेवि ।। ८९ ।। सा होइ कायराणं, सुदुक्करा तदियराण पुण सुकरा । सिवसुहमिहेव दसइ, संतोससमाहिमंताण ॥१९०॥ पयपउमे पणमिय, विनवेइ गणहारिणं 'गुणी स तओ। इच्छामि सामि ! पासे, तुह पवजं पवजेउं ॥९१।। आह पहू पडिबंध, मा धीर | धरेहि पुण क्खणो दुलहो । भणइ स अम्मापियरो, अणुजाणावेमि ताव लहुं ।। ९२ ॥ जावज्जीवाए ताव, बंभचेरे अभिग्गहं देह । पव्वजापारंभे, पणवोऽयं होउ आह पहु ॥ ९३ ॥ इय नियमिय स नियत्तो अदंभवभव्वए कयपयत्तो । स घरं सिग्धं पत्तो, पियरे विन्नविउमाढत्तो ॥ ९४ ॥ निसुया सुहम्मसामिस्स, देसणा अज तायमाय ! मए । रहिया मणमि सावजलेवलेवेण लीणव्व ॥९५।। अइसुछ जाय ! जायं, जं कयमेवंति तेहिं संलत्ते । स भणइ पव्वज्जाए, अणुजाणह ता मममियाणिं ॥ ९६ ।। इय निसुणिऊण मुच्छानिमीलियच्छाई ताई पिच्छीए । निवडियपावियपुणचेयणाई जंपंति दीणसरं ॥ ९७ ।। तं कप्पपायवो पुत्त !, अम्ह गेहंमि तं विणा हिययं । अइसयसुपक्कदाडिमफलं व ओफुट्टइ तडत्ति ॥ ९८ ॥ अणुलोमियाहिं
॥१३६॥ पडिलोमियाहिं, पियरेहिं बहुपयारेहिं । पन्नविओ पन्नवणाहिं, जाव मन्नइ न तव्वयणं ॥ ९९ ॥ पभणति ताव अव्वो, कयपरिण
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