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उपदेशमालाविशेषवृत्तिः
॥ १०२॥
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पुरओ सधीरमकोसिओ स करी ॥ २४ ॥ रे दुदु ! करिंदाहमकुजाय ! संभंतजुवइमहणेण । निक्किव निययस्स किं न लज्जिओ IN थूलकायस्स ॥ २५ ॥ अइदुब्बलाए निग्घिण! सरणविहीणाए निरवराहाए। एआए मारणाओ जहत्थनामोऽसि मायगो ।। २६ ॥
ब्रह्मदत्तसावटुंभसनिठुरसद्दपरिप्फंदभरियनहविवरं । सुणिऊण कुमरहकं तस्साभिमुहं पलोएइ ।। २७ ।। मोत्तूणं तं बालं, रोसारुणनयण- चक्रिसन्धिः जुयलदुप्पेच्छो। धावइ कुमरोऽभिमुहं तव्वयणुक्कोविओ संतो ॥ २८ ॥ तडवियसवणजुयलो गहीरहुंकारभरियनहविवरो। दीहपसारियहत्थो कुमराऽणुपहेण सो लग्गो ॥ २९ ॥ कुमरो वि तस्स पुरओ ईसीसिवलंतकंधरो धाइ। करपजंतनिवेसियनियपाणिविदिन्नपच्चासो ।। ४३०॥ कमजणिय कुमारग्गगइपहपसरंतकोवबहुवेगो। एसेस पाविओ इयमई एसो धावइ गइंदो ॥ ३१ ॥ विवरीयभमणवसओ कुमरेणाविय समं तहा नीओ। चित्तलिहिउ व्व जाओ जहा महाकुंजरो स वरो ॥ ३२ ॥ उवलद्धनिसियअंकुसहत्थो करिकंधरं समारूढो । कुमरो नीलुप्पलोयणेहिं महिलाहिं दीसंतो ॥ ३३ ॥ तह महुराहिं गिराहिं पन्नत्तो सो करी जह रोसो। तस्सोसरिओ आलाणखंभलीणो जहा विहिओ ॥ ३४ ॥ उच्छलिओ जयसहो, अहो परक्कमनिही इमो कुमरो। जेण जि. याण दुहत्ताण ताणकरणंमि पउणमणो ॥ ३५ ॥ कहमवि तन्नयरपहू राया अरिदमणनामगो तंमि । देसे समागओ नियइ कुमरवुत्तंतमियरूवं ।। ३६ ॥ विम्हियमणो य पुच्छइ को एसो कस्स निवइणो पुत्तो। तत्तो तव्वइयरजाणगेण सचिवेण सो कहिओ ॥ ३७॥ निहिलाहाओ अहियं आणंद उव्वहंतओ संतो। नेडू निवो नियभवणं कारावइ मज्जणाईणि ॥ ३८ ॥ भुत्तुत्तरंमि दिनाउ अट्ठकन्नाउ तेण कुमरस्स । सुपसत्थवासरंमि य विहिओ वारिजओ तासिं ॥ ३९ ॥ कइवयदिणे जहासुहमह चिटुंताण अन्नया एगा। महिला आगम्म कुमारअंतियं इय समुल्लवइ ॥ ४४० ।। कुमर ! त्थि इहेव पुरे वेसमणो नाम सत्थवाहसुओ। धूया तस्स सिरिमई सा य मए बालभावाओ ॥४१॥ आरब्भ पालिया जा, तुमए करिसंभमाओ ताओ तया । रक्खियपुव्वा सा तुज्झ
6 ॥१०२॥ घरणिभावं अहिलसेइ ।। ४२ ॥ तइयच्चिय जीवियदायगो त्ति तं साहिलासदिट्ठीए। तीएऽवलोइओ खलु ता किजउ तम्मणस्स
१ कुमारगलइ B कुमारगलगइ ।
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