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२ देवधर्मपरीक्षा.
५ यतिलक्षण समुच्चय.
३ अध्यात्म उपनिषद्. ६ नयरहस्य.
जैनतर्क परिभाषा. १० ज्ञानबिंदु. प्रथम श्रपवो बहु जरुरनो बे. तेथी
१ अध्यात्मसार.
० नयोपदेश (सावचूरि ).
४ श्रध्यात्मिक मतखंमन-सटीक. ७ नयप्रदीप. ग्रंथोमां कया कयाविषयो केवी रीते चर्चवामां श्राव्या ने तेनो ख्याल प्रत्येक ग्रंथनो सार अनुक्रमे कामां हीं आपवामां श्राव्यो बे.
अध्यात्मसार - ग्रंथ व्युत्पत्ति करवानी इवावाळार्जुने अध्यात्म ज्ञाननी साथे काव्यनो पण घणोज सारो बोध करे तेवो बे, अने ते विधान् वांचनांरने सहज मालूम पके तेवुं छे. तेजश्री अध्यात्मना विषयमां केटला डंका उतरेला हशे ते वात तेमना ग्रंथ उपरथी सारी रीते मालूम पमी शके तेम बे. शरुवातमां मंगळाचरण करीने अध्यात्मनी जरुर बतावतां अध्यात्म वगरनुं बीजुं ज्ञान, वगर सलेपाटवाला रस्तापर गति श्रापेला एन्जिन जेवुं बे. कहेवानुं तात्पर्य ए बे के ते साध्य वगरना कार्य जेवुं बे, एम बतावी अध्यात्मथी उत्पन्न थता लानो जणावी, बीजा शृंगारादि रसो करतां अध्यात्ममां रहेली उत्तमता बहु श्रेष्ठ शब्दोमां बतावी बे, अने तेम करीने पहेलो माहात्म्य अधिकार पूर्ण कर्योछे. बीजा अध्यात्मस्वरूप अधिकारमां शिष्यधाराए प्रश्न जो करी अध्यात्मनो अर्थ, अध्यात्मनुं स्वरूप, अध्यात्म विरुद्ध क्रिया, अध्यात्मने योग्य तथा अयोग्य माणसोनां लक्षणो अने तेना अनुक्रमने जणावी व्यवहार ने निश्चयथी अध्या- | त्मनुं निरूपण करी, ज्ञान अने क्रियानुं पंखीनी वे पांखनी माफक उपयोगी पशुं बतान्युं बे. आगळ अध्यात्मश्री यती