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रहस्य
जीवनाप्रकारतथाभेद ॥९॥
६ अकषायी. तथा सात प्रकारना जीव छे-१ नारक तिर्यच, ३ तिर्यंचणी, ४ मनुष्य, ५ मनुष्यणी, ६ देव, सिद्धांत-२७ देवी.आठ प्रकारना जीव छे-१ सलेशी, २ कृष्णलेशी, ३ नीललेशी, ४ कापुतलेशी, ५ तेजुलेशी, ६ पद्मलेशी
७ शुक्ललेशी, ८ अलेशी. तथा नव प्रकारना जीव छे-१ पृथवीका०, २ अपका०, ३ तेउका०, ४ वायुका०, ५ ॥९ ॥
बनस्पतिका०, ६ बेइंद्रिय, ७ तेइंद्रिय, ८ चउरिन्द्रिय,९पंचेंद्रिय. तथा दश प्रकारना जीव छे-एकेंद्रियथी यावत् पंचेन्द्रिय ए पांचना अपर्याप्ता अने पर्याता. तथा इग्यार प्रकारना जीव छे-१ एकेंद्रिय, २ बेइंद्रिय, ३ तेइंद्रिय, ४ च उरिंद्रिय, ५ नारक, ६ तिर्यंच, ७ मनुष्य, ८ भवनपति, ९ व्यंतर, १० ज्योतिष्क ११ वैमानिक. तथा बार
प्रकारना जीव छ:-पृथिवीकायिक आदि छकायना अपर्याप्ता अने पर्याप्ता. तथा तेर प्रकारना जीव छे-कृष्णले४ शीथी यावत् शुक्ललेशी, ए छना अपर्याप्ना अने पर्याप्ता एवं बार. अने १३ अलेशी. तथा चौद प्रकारना
जीव छे-१ सूक्ष्म एकेंद्रिय, २ बादर एकेंद्रिय, ३ बेइंद्रिय, ४ तेइंद्रिय, ५ चरिंद्रिय, ६ असंज्ञीपंचेंद्रिय, ७ संज्ञीपंचेंद्रिय ए सातना अपर्याप्ता अने पर्याप्ता. हवे विस्तारथी जीवना पांचसें त्रेसठ भेद कहे छे-त्रणसोने त्रण भेद मनुष्यना, एकसो अठाणु भेद देवना, अडतालीश भेद तिर्यंचना अने चौद भेद नारकना एवं पांचप्तो वेसठ भेद थया. हवे त्रण सो व्रण भेद मनुष्यना, कहे छे:-पन्नर कर्मभूमि, त्रीश अकर्मभूमि अने छप्पन अंतरद्वी. एवं कसोने एक क्षेत्रना. गर्भज मनुष्यना अपर्याप्ता अने पर्याप्ता. एवं बमोने बे अने एकसोने एक क्षेत्र ना समूच्छिम अनुयना अपर्याप्ता सर्व मलीने त्रणलो त्रण भेद मनुयना छे. कर्मभूमि ते कोने कहीए? असि,
NAGAR-
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