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जंबूद्वीप वर्णन ॥१०॥
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सिद्धांत
मषी अने कृषि ए त्रण प्रकारना व्यापारे करी जीवे तेने कर्मभूमि कहीए. ते कर्मभूमिना पन्नरक्षेत्र छे, पांच
भरत पांच ऐरावत अने पांच महाविदेह. ए कर्मभूमिना क्षेत्रो क्या छ ? एक लाख योजननो जंबूदीप छे, तेमां रहस्य
भरत, १ एरावत अने १ महाविदेह छे. तेने फरतो बे लाख योजननो लवणसमुद्र छे, तेने फरतो चार लाख ॥१०॥
योजननो धातकीखंड द्वीप छे, तेमां २ भरत २ एरावत अने २ महाविदेह छे. तेने फरतो आठ लाख योजननो दिकालोदधि समुद्र छे, तेने फरतो आठ लाख योजननो अर्द्धपुष्करदीप छे, तेमां २ भरत, २ एरावत अने बे|
महाविदेह छे. ए क्षेत्रोमा रहेनार पन्नर कर्मभूमिना मनुष्य कह्या. हवे अकर्मभूमि ते कोने कहीए ?
त्रण प्रकारना कर्म रहित अने दश प्रकारना कल्पवृक्षवडे जीवे तेने अकर्मभूमि कहीए. ते केटला छे ? ट्रा५ हैमवत, ५ हरण्यवत, ५ हरिवर्ष, ५ रम्यकवर्ष, ५ देवकुरु, अने ५ उत्तरकुरु एवं त्रीश छे. जंबूद्वीपमा १
हैमवत, १ हैरण्यवत, १ हरिवर्ष १ रम्यकवर्ष, १ देवकुरु ने १ उत्तरकुरू, ए छ क्षेत्र छे. धातकीखंडमां बबे जाणवा. तेमज अर्धपुष्करद्वीपमां पण बबे जाणवा. एवं त्रीश अकर्मभूमिना मनुष्यो कह्या. हवे छप्पन अंतरद्वीपना मनुष्यो कहे छे:-जंबूद्वीपना भरतक्षेत्रनी मर्यादानो करनार चूलहिमवंत पर्वत छे, ते पीळा सोनामय छे. ते एकसो योजननो उंचो, एकसो गाउनो उंडो, एक हजार बावन योजन ने बार कलानो पहोलो छे अने चोवीस हजार नवसे बत्रीश योजननो लांबो छे. तेनी पूर्व-पश्चिमने छेडे बबे दाढा नीकळी छे. एकेकी
। एक योजननो उगुणीशमो भाग ते 'कला'
SAROKARKALARGERA
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