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अध्यात्मविचारणा
जिज्ञासा बीज अनायास ही बोये जाते हैं ।" इस प्रकारके मानसिक निर्माणके पीछे हजारों वर्षोंकी प्राचीन आध्यात्मिक साधनाके इतिहास की अज्ञात भूमिका रही हुई है । इसीलिए तो हममें से अनेक ज्यों-ज्यों इस प्रकारकी आध्यात्मिक जिज्ञासा और विचारणाको रोकनेका या उनका गला घोंटनेका प्रयत्न करते हैं त्यों-त्यों वे अधिकाधिक पुनः उन्हीं विषयोंकी ओर झुकते दिखाई देते हैं । इसलिए जब हम आत्मा-परमात्माकी विचारणा करनेके लिए प्रेरित होते हैं तब हम अपनी विशिष्ट प्रकृतिका ही अनुगमन करते हैं और अपने में रहे हुए निगूढ़ संस्कारोंके प्रति ही वफादार रहते हैं, ऐसा समझना चाहिये ।
दूसरी तरहसे विचार करनेपर भी ज्ञात होगा कि प्रस्तुत विचारणा तनिक भी अप्रासंगिक या असामयिक नहीं है । यूरोप और अमेरिका जैसे भौतिकवादी समझे जानेवाले देशोंमें भी आत्मतत्त्व, पुनर्जन्म आदि आध्यात्मिक विषयोंकी वैज्ञानिक ढंग से नई नई खोजें प्रचुर मात्रामें होने लगी है, और वह यहाँतक कि अब तो किसी-किसी यूनिवर्सिटीने ऐसी खोजोंके लिए ख़ास विभाग और अभ्यासपीठोंका भी प्रबन्ध किया है और उनउन विषयों के विशेष अनुभवी अध्यापकों को नियुक्त कर उनकी
2. To a Hindu the idea that the souls of men migrated after death into new bodies of living beings, of animals, nay, even of plants, is so selfevident that it was hardly ever questioned.
-Six Systems of Indian Philosophy by Max Muller, p. 114