________________ काश्चादर्श इत्याचार्य्यदण्डिनः कृतौ काव्यादर्श "शब्दालङ्कारदोषविभागो नाम ...तीयः परिच्छेदः / समाप्तश्चायं ग्रन्थः / कान्ताभिः कृताभिसरण: युवा इव रमते प्रौतिमनुभवति कीर्ति लभते च इति अन्वयः // 187 // इति श्रीजीवानन्दविद्यासागरभट्टाचार्यविरचिता काव्यादर्श विवृतिः समाप्ता। প্রকাশক শ্রীজীবানন্দবিদ্যাসাগর বি এ, 2 নং রমানাথ মজুমদারের স্ত্রীট, কলিকাতা। | প্রিন্টর—শ্রীরামনারায়ণ পাল 16 নং নূতন পগয়াপটী।