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wwwwwwwwwwwन पत्रधारत्व woomam 'जिनवाणी' मासिक पत्रिका
- डॉ. श्वेता जैन
(अतिथि अध्यापक, संस्कृत विभाग, जयनारायण व्यास विश्वविद्यालय, जोधपुर (राज.)
प्रेरक और प्रारम्भ 'जिनवाणी' पत्रिका जैन समाज की लोकप्रिय एवं अन्तरराष्ट्रीय स्तर की पत्रिका है। जनवरी 1943 से निरन्तर अद्यतन प्रकाशित इस पत्रिका ने 69 वर्ष की सुदीर्घ अवधि पूर्ण कर 70 वें वर्ष में प्रवेश कर लिया है। इस पत्रिका का शुभारंभ सन संघके सप्तम पट्टधर आचार्य हस्तीमल जी म. सा. की प्रेरणा से हुआ। प्रारम्भ में व्यलष्ता का दायित्व श्री विजयमल जी कुम्भट ने सम्हाला। उस समय पत्रिका की छपाई जोधपुर में करवाकर वितरण भोपालगढ़ से किया जाता था। इस पत्रिका का रजिस्ट्रेशन भी करवाया गया।
सम्पादक क्रम जिनवाणी पत्रिका के प्रथम सम्पादक डॉ. फूलचन्द जी जैन ‘सारंग' थे। श्री चम्पालाल जी कनविट, श्री केशरी किशोरजी नलवाया, श्री चंदमल जी कर्णावट, श्री पारसमल जी प्रसून, पं. रतनलाल जी संघवी, श्री शान्तिचन्द्र जी मेहता, श्री मिट्ठालाल जी मुरड़िया, पं. शशिकान्त जी झा आदि विभिन्न विद्वानों के सम्पादकता में विकसित इस पत्रिका का दिसम्बर सन 1967 से नवेम्बर सन् 1993 तक कुशल सम्पादन हिन्दी के प्रसिद्ध साहित्यकार एवं जैन धर्म के विद्वान डॉ. नरेन्द्र जी भानावत द्वारा हुआ। इस अवधि में पत्रिका को अच्छा लोकप्रियता एवं प्रतिष्ठा मिली। डॉ. (श्रीमती) शान्ता जी भानावत का भी सम्पादन में पूर्ण सहयोग मिला। अक्टूबर 1994 से इस पत्रिका का सम्पादन डॉ. धर्मचन्द जी जैन, प्रोफेसर एवं पूर्व अध्यक्ष, संस्कृत विभाग, जय नारायण व्यास विश्वविद्यालय, जोधपुर कर रहे हैं।
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