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________________ चैन पत्रारत्व - करुणा क्लब संचालित हैं। डॉ. नेमीचन्द जी ने शाकाहार को वैज्ञानिक आधारों पर मानवीय आहार सिद्ध किया । उन्होंने 'बेकसूर प्राणियों के खून में सने हमारे ये बर्बर शौक', 'अण्डा, ज़हर ही ज़हर, शाकाहार ही क्यों, डॉक्टर ! बी अवेयर ऑफ एग्ज़ (अंग्रेजी), अण्डा तुम्हें खा जाएगा (सचित्र) आदि अनेक पुस्तकें प्रकाशित एवं प्रचारित की । अण्डे से होने वाली बीमारियों के पोस्टर निकाले । शाकाहार की महत्ता और मांसाहार की हानियों को प्रतिपादित करने वाले वाक्यों की खर सीलें बनवाई। शाकाहार - संकल्पपत्र भरवाए । शाकाहार को उन्होंने एक आन्दोलन का रुप दिया। पौष्टिकता, विटामिन, प्रोटीन आदि की दृष्टि से शाकाहार की श्रेष्ठता सिद्ध की । कत्लखानों के विरोध में 'कत्लखाने 100 तथ्य' पुस्तक प्रकाशित की। नये कत्लखानें न खुलें उसका प्रयत्न किया तथा अर्थतन्त्र की दृष्टि से भी कत्लखानों को अनुपयोगी करार देते हुए कहा- 'पशुओं का कत्ल भारत के अर्थतन्त्र का कत्ल है ।' विभिन्न कत्लखानों के आंकडे प्रस्तुत किया तथा कत्ल की निर्दयता से लोगों को परिचित कराया । शाकाहार को उन्होंने सर्वोत्तम जीवन-पद्धति के रुप में करते प्रस्तुत हुए उन्होंने कहा 'शाकाहार एक मानवीय आहार है । वह पर्यावरणिक कवच है; वह नैतिकता का संरक्षक आहार है । वह स्वास्थ्यवर्धक / संपोषक आहार है । वह एक ऐसा आहार है जो पूरी धरती को अभय और प्रीति का वरदान देता है। शाकाहार अहिंसक जीवनशैली का प्रमुख आधार है, अभिन्न अंग है ।' शाकाहार में प्रोटीन जितना चाहिए उतना है। शाकाहार में कार्बोहाइड्रेट विटामिन 'सी', विटामीन 'ए', विटामीन 'इ' आदि पर्याप्त मात्रा में हैं । शाकाहार के समर्थन में डॉ. नेमीचन्द जी ने 'शाकाहार: मानव सभ्यता की सुबह' पुस्तक लिखी है, जो पठनीय है। 935 -
SR No.023469
Book TitleJain Patrakaratva
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGunvant Barvalia
PublisherVeer Tattva Prakashak Mandal
Publication Year2014
Total Pages236
LanguageGujarati
ClassificationBook_Gujarati
File Size25 MB
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