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________________ ५०० ] प्रस्तारसंख्या छन्द-नाम कथागति: पद्मसद्म ८,६८,७८०. प्रतिमा ६,००,११२. कमलशिखा ६,३६,२४०. ललितललाम मत्तक्रीडा चन्दनप्रकृतिः १७,१७,५५९. तडिदम्बरम् २,०२,६५१. वासकलीला ३,३१,७७६. द्रुतमुखम् ५,६०,११३. भीमाभोगः ५,६८,६०२. वीरनीराजना ५,६९,१८५. कङ्कणक्वाणवाणी ५,६६, १८७. कङ्कणक्वाणः महास्रग्धरा ८,१७,६३८. श्रर्भकमाला ८,७६,४४१. भस्त्रा निस्तरणम् ८,६८,७८०. श्रयमानम् दीपाचिः मदन सायक: १५.७०, ४८५. भोगावली १६,३६,०६०. स्वर्णाभरणम् १६,७७,५११. निष्कलकण्ठी १६,१४,०३७. भुजङ्गोद्धतम् लालित्यम् वरतनुः २०,६७,१५२. श्रचलविरतिः ३१,२४,५८८. वनवासिनी ८,४२,१७६. परिधानीयम् १७,५२,४७६. विलासवास: वृत्तमौक्तिक - पञ्चम परिशिष्ट लक्षण तरभ न ज भ र र स न ज न भर स स स स स स स न य म भ स स स न ज त त त त स म म त न न न स र ज त न न न स भ भ भ भ भ भ भ द्वाविंशाक्षर छन्द भ मस त य भ म ग न न न न म र य ग म त त म म र र ग यय य य र र र ग म र र र र र र ग र र र र र र र ग स त त न स र र ग भत न त न म सग म स भ न ज र सग स स स स स स स ग म स ज स ज स ज ग न भ ज भ ज भ ज ग त भर स न न जग स स स स न य भ ग भ मस त य स भग त भर रस र न ग मस र स त ज न ग म त य न न न न ग न न न न न न न ग स ज ज भ र न स ल त्रयोविंशाक्षर-छन्द न न भ त ज य स ग ग भ स भ भ स ज भ ग ग सन्दर्भ-ग्रन्थ-सङ्क ेताङ्क १०, २०. १६. १७; सवैया - १७. १७. १७. १०. १०. १७; सवैया - १७. १७. १७. १७. १७. १७. १७. १०, १६. १७. १७. १७. १०, २०. १६. १७. १७. १७. १७. १४. १०. १७. १७. १७. १७; सुभाग:- १७; विलासः १७.
SR No.023464
Book TitleVruttamauktik
Original Sutra AuthorN/A
AuthorVinaysagar
PublisherRajasthan Prachyavidya Pratishtan
Publication Year1965
Total Pages678
LanguageSanskrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size35 MB
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