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________________ ४२० ] वृत्तमौक्तिक-चतुर्थ परिशिष्ट (क.) A छन्द-नाम मात्रा-संख्या एवं लक्षण सन्दर्भ-ग्रन्थ-सङ्कताङ्क मदनगृहम् [४०; चतुष्पदी; ड- १०; १, ६, १२, १७; मदनदीपन- १६. पहला 'ड' सगण होना चाहिए) मरहठ्ठा [२६; चतुष्पदी; ट. ड. ड. ड. १, ६, १२, १६, १७. ड. ड. गुरु, लघु] मदिरा सवया [३०; चतुष्पदी; भ.-७, ग.] १ मालती सवया [३२; चतुष्पदी; भ.-७, ग.२] १ मल्ली सवया [३४; चतुष्पदी; स.-८, ग.] १ मल्लिका सवया [३१; चतुष्पदी; ज.-७. ल.ग.१ माधवी सवया [३३; चतुष्पदी; ज.-७, ल.ग.ग.] १ माराधी सवया [३२; चतुष्पदी; ड.-८;] १ घनाक्षरम् [४८ मात्रा, ३१ वर्ण; चतुष्पदी] १ गलितकम् [२१; चतुष्पदी; ठ. ठ. ड. ड. १, ६, १०; संपिण्डितागलिता- ७. लघु, गुरु ) विगलितकम् [२३; चतुष्पदी; ठ. 3. ड. ड. १, १०. ठ;] संगलितकम् [१३; चतुष्पदी; ड. ड. ठ.] १,१०; पदरालिता- ७. सुन्दरगलितकम् [१३; चतुष्पदी; 6. ठ. लघु. १, १०. गुरु;] भूषणगलितकम् [१६; चतुष्पदी: ठ. ठ. ढ. ढ.] १, १०. मुखगलितकम् [२०; चतुष्पदी; ट. ढ. ढ. ढ. १, १०. ढ. गुरु] विलम्बित- २२; चतुष्पदी; ट. ड. ड. ड. १, १०. गलितकम् ड; अन्तिम 'ड' गुर्वन्त हो] समगलितकम् [२५; चतुष्पदी; ड. ठ. ठ. ड. १, १०. ड. लघु, गुरु] अपरं सम- [३२; द्विपदी; प्रथम पद में-- १ गलितकम् ड. ठ. ठ. ड.ड. ल. ग. ड. ढ; द्वितीय पद में ट. ढ. ढ. ढ. ढ. ग. ड. ड. ड;] अपरं सङ्ग [३२; द्विपदी; अपरं सङ्ग- १ लितकम् लितकम् की पदस्थिति पूर्णरूपेण विपरीत होती है]
SR No.023464
Book TitleVruttamauktik
Original Sutra AuthorN/A
AuthorVinaysagar
PublisherRajasthan Prachyavidya Pratishtan
Publication Year1965
Total Pages678
LanguageSanskrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size35 MB
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