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________________ मात्रिक छन्दों के लक्षण एवं नाम-भेद [ ४२१ छन्द नाम मात्रा-संख्या एवं लक्षण सन्दर्भ-ग्रन्थ-सङ्केताङ्क अपरं लम्बिता- [२२; चतुष्पदी; ड. ड. ड. ड. १; लम्बितागलितकम्-७, १०. गलितकम् ड. गुरु; प्रथम और तृतीय चरण में जगण नहीं;] विक्षिप्तिका- [२५; चतुष्पदी; प्रथम और १; विच्छित्तिर्गलितकम-१०. गलितकम् तृतीय चरण में 3. ठ. ठ.. ; द्वितीय और चतुर्थचरण में ड. ठ. ठ. ठ. ठ. ग: होता ललिता- [२४; चतुष्पदी; -६;] १.७, १०. गलितकम् विषमिता- [२५; चतुष्पदी; प्रथम और १; विषमागलितक-१०; गलितकम द्वितीय चरण में ठ. ड. ड. ड. ड. ड; तृतीय एवं चतुर्थ चरण में ड. ड. ड. ड. ड. ड. ग. होता है। मालागलितकम् [४६; चतुष्पदी; ट. ड- १०; १, १०. अर्थात् १. ३, ५, ७, ६. वां 'ड' जगण; २, ४, ६, ८ वां 'ड' चार लघ्वात्मक, और १० वां 'ड' सगण होना चाहिये] | मुग्धामाला- [३८; चतुष्पदी; ट. ड.८] १; मुग्धगलितकम्- ५, १०. गलितकम् उद्गलितकम् [३०; चतुष्पदी; ट. ड-६;] १; उद्गाता- ७; उग्रगलितकम्-५, १०.
SR No.023464
Book TitleVruttamauktik
Original Sutra AuthorN/A
AuthorVinaysagar
PublisherRajasthan Prachyavidya Pratishtan
Publication Year1965
Total Pages678
LanguageSanskrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size35 MB
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