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मात्रामेरु-प्रकरण
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___ एककलो लघुरेव । द्विकले २ रूपे-एक गुरु, एक लघु इति । त्रिकले त्रीणि रूपाणि-द्वे रूपे एक गुरुके, एक सर्वलघुरूपम् । चतु:कले ५ रूपाणि-एकं सर्वगुरुकं, त्रीणि एकगुरूणि, एकं सर्वलघु। पञ्चकले ८ रूपाणि-रूपत्रयं द्विगुरुक, रूपचतुष्टयं एकगुरुकं, एकं सर्वलघु ।
मथ मात्रासूचीमेरुः अक्खर संखे कोट्ठ करु, अाइ अंत पढमंक । सिर दुइ अंके अवर भरु, सूई मेरु णिस्संक ॥
[प्राकृतपैङ्गलम् परि. १, पद्य ४४]
१२. ssss | २३३ | २१ | ७० | ८४ | ४५ | ११ | १ |२३३ १३. Isss ||| ७ | ५६ | १२६ १२० | ५५ | १२ | १ | ३७७ - १४. sss | २८ | १२६ २१० १६५ ६६ | १३ | १६१.