________________ षष्ठः परिच्छेदः . . अथ प्रकरणिकानाटिकैत्र प्रकरणी सार्थवाहादिनायका / समानवंशजा नेतुभवेद्यत्र च नायिका / / 306 // मृग्यमुदाहरणम् / अथ हल्लीश: हल्लीश एक एवाङ्कः, सप्ताष्टौ दश वा त्रियः / वागुदात्तैकपुरुषः कैशिकीवृत्तिरुज्ज्वला / मुखान्तिमौ तथा सन्धी बहुताललयस्थितिः // 307 // यथा-केलिरेवतकम्। अथ भाणिका भाणिका श्लक्ष्णनेपथ्या मुखनिर्वहणान्विता / प्रकरणिका लक्षयति-नाटिकवेति / सार्थवाहादिनायका - सार्यगहः (वणिक्) आदिः नायकः यस्यां सा / आदिशब्देन प्रवापिप्रभृतयो गृह्यन्ते / “पर्वदेहरु सार्यवाहो नंगमो वाणिजो वणिक् / " इत्यमर. / तादृशी नाटिका एव प्रकरणी भवेत् / यत्र-प्रकरण्या; नायिका, नेतुः नायकस्य, समानवश जा=सदृशकुलोत्पन्ना भवेत् / / 306 // * हल्लीश सक्षयति-हल्लोश इति / हल्लीशे = तदाख्ये उपरूपके, एक एक अङ्कः, सप्त अष्टो अथवा दश स्त्रियो भवेयुः / उदात्ता उत्कृष्टा, संस्कृतं शौरसेनी वा, वाक-भापा, भवेत् / एकपुरुषः = एक एव पुरुषः (नटः ) यस्मिन् सः / उज्ज्वला - सुव्यक्ता, कैशिकी वृत्तिः। तथा मुखान्तिमो = मुखनिवहणाख्यो, सन्धी, भवेतामिति शेषः / बहुताललयस्थितिः = बहूनाम् ( अनेकप्रकाराणाम् ) ताल न्यानां, स्थितिः = अवस्थानं, भवतीति शेषः / / 307 / / यथा-केलिरवतकम् / - माणिकां लक्षयति-भाणिकेति / श्लाक्ष्णनेपथ्या श्लक्ष्णं (सूक्ष्मम् ) नेपथ्यं (वेषः ) यस्यां सा / मुखनिर्वहणाऽन्विता-मुखनिर्वहणसन्धिभ्याम् अन्विता (युक्ता)। प्रकरणिका-जिसमें बनिया आदि नायक होते हैं वैसी नाटिका ही प्रकरपिका होती है। उसमें नायकके समान कुलमें उत्पन्न नायिका होती है / / 306 // उदाहरण दूढ़ना चाहिए। हल्लीश-हल्लीशमें एक ही अङ्क होता है / उसमें सात, आठ वा दश स्त्रियां होती हैं / उत्कृष्ट संस्कृत वा शोरसेनी भाषा होती है, उसमें एक ही नट होता है, . उज्ज्वल कशिकी वृत्ति रहती है / मुखसन्धि और निर्वहण सन्धि रहती है और बहुत से तालो और लयोंकी स्थिति होती है // 307 // जैसे केलिरैवतक / भाणिका-भाणिका सूक्ष्म नेपथ्यवाली और मुखसन्धि और निर्वहण सन्धिसे