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उदाहारपरिशिष्ट कविकृतिपरिचय १. कादम्बरीकथासार, कवि-अभिनन्द, समय खु० दशमशताब्दी, इसमें उत्कृष्ट अनुष्टुप् छन्दोंमें निर्मित दश सोंमें कादम्बरीकी कथाका बुतिमधुर वर्णन है । कवि न्यायमञ्जरीके कर्ता सुप्रसिद्ध जरनैयायिक जयन्त भट्टके सुपुत्र थे। इन्होंने योगवाशिष्ठसार भी लिखा है।
२. यादवाऽभ्युदय महाकाव्य, कवि-वेङ्कटनाय वा वेदान्तदेशिका समय५० चतुर्दश शताब्दी । ये श्रीसम्प्रदायके महान दार्शनिक आचार्य थे, इस सुन्दर काव्य. पर दार्शनिकप्रकाण्ड अप्यय दीक्षितने टीका लिखी है। महाकविने पादुकासहस्र और हंससन्देश आदि बहुत-से ग्रन्थ लिखे हैं ।
३. भक्तविजय, पृथ्वीन्द्रवर्णनोदय, कवि-ललितावल्लभ, समय-वि० सं० १७७९-१८३२ । भक्तविजय, उपेन्द्रवजा आदि छन्दोमें विरचित १०९ पद्योंका सालङ्कार मनोहर काव्य है। इसमें नेपालकी एकराष्ट्रियताके प्रतिष्ठायक श्री ५ पृथ्वीनारायण शाहके भक्तपुरविजयका उदात्त दर्णन है। पृथ्वीन्द्र वर्णनोदय, इसमें पूर्वोक्त महाराज के प्रताप और विजयका शार्दूलविक्रीडित और स्रग्धरा आदि छन्दोंमें अलङ्कारगमित प्रोट और मनोरम वर्णन है। इसमें ३ सर्ग हैं, उनमें एक ही सर्ग प्रकाशित है।
४. कवितानिकषोपल, कवि-लक्ष्मण, समय-१७७९-१८३२, यह काव्य पूर्वोक्त महाराज श्री ५ पृथ्वी नारायण शाहके सुपुत्र युवराज श्री ५ प्रतापसिंहने अपने पिताके नेपालविजयके अवसरपर बालाजू नामक स्थानमें एक बृह। कविसम्मेलन किया था। उसमें भारत के मिथिला, पटना, द्राविड आदि बहुत से राज्योंके और नेपालके भी अनेक कवि उपस्थित हुए थे। नेपालके लक्ष्मण कविने सबकी रचनाओंकी व्याकरणकी सूक्ष्म पद्धतिसे पाण्डित्यपूर्ण आलोचना की थी, इसमे उस विषयका मनोहर वर्णन है। इन्हीं श्री ५ प्रतापसिंह शाहने वि० सं० १८३२-१८३४ मे "पुरश्चर्यार्णव" नाम बृहत तन्त्रशास्त्रकी रचना की थी। इन्हींके पौत्र श्री ५ गीर्वाणयुद्ध विक्रम शाहने वि० स० १८५५-१८७३ में जयसिंहकल्पद्रुमके समान धर्मशास्त्र और कर्मकाण्डका निबन्ध "गीर्वाणरत्नावली' वा ' सत्कर्मरत्नावली" नामक बृहत् ग्रन्थका प्रणयन किया था।
५.शिवराजविजय, गद्यकाव्य, कवि-साहित्याचार्य अम्बिकादत्त व्यास। "घटिकाशतक" "भारतरत्न" उपाधियोंसे विभूषित, समय ख० १८५९-१९०० । इनका अभिजन जयपुर और निवास वाराणसी है । ये पटनास्थ राजकीय संस्कृत महाविद्यालय में प्राध्यापक थे। प्रकृत ग्रन्यमें दक्षिणके छत्रपति शिवाजीके विजय और प्रताप बादिका मनोहर और अलकृत वर्णन है । इसका कथानक बङ्गालके उपन्यासकार बार० सी० दत्तके एक उपन्यासपर आधृत है। संस्कृत और हिन्दी मे इनके