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________________ ( १३ ) . - वयंवरवर्णन, सप्तममें इन्दुमतीसे अजका विवा, अष्टममें इन्दुमतीके असामयिक मरणसे अजके विलापका वर्णन, नवममें अबके पुत्र दशरथका मृगयावर्णन, दशममें रामके अवतारका वर्णन, एकादशमें राम आदि राजकुमारोंके विवाहका वर्णन, द्वादशमें रामका वनगमन और रावणका सीताहरण तथा सुग्रीवकी सहायतासे रामकृत रावणवधका वर्णन, त्रयोदशमें रामके सीता और लक्ष्मणके साथ अयोध्या लौटनेका वर्णन, चतुर्दश में लोकाऽपवादके कारण सीताके परित्यागका वर्णन, पञ्चदशमें कुखको राज्याभिषेक देकर रामके स्वर्गारोहणका वर्णन, षोडशमें कुशका कुमुवतीसे परिषयका वर्णन, सप्तदश में कुशपुत्र अतिथिका वर्णन, अष्टादशमें रघुका वंशाऽनुक्रा वर्णित है, तथा एकोनविंश सर्गमें रघुवंश के राजा अग्निवर्णके शृङ्गारका वर्णन है । रघुवंश संक्षिप्त होते हुए भी आवश्यक वनोंसे विभूषित है इसमें कविके अद्भुन और परिणत मस्तिष्कका परिचय मिलता है। इसमें अनुष्टप, वशस्थ, हरिणी, मन्दाक्रान्ता आदि अनेक छन्दोंका प्रयोग मिलता है, कालिदासकी रचनामें प्रसाद गुण वैदर्भी रीति और उपमा आदि अलङ्कारोंकी विशेषताके विषयमें क्या कहता है ? आर्यसंस्कृतिको उनके प्रत्येक ग्रन्थमें आदर्शकी झांकी प्रचुर मात्रामें मिलती है। कलिदास ईसासे ५७ वर्ष पूर्व विक्रमादित्य के नवरत्नों में अन्यतम महान् रत्न थे। बृहत्त्रयीमें तीन महाकाव्य परिमणित हैं, किरातार्जुनीय, शिशुपालवध और नैषधीयचरित । ७ किरातार्जुनीय-किरातार्जुनीयके कर्ता भारवि । समय-महाकवि भारवि ईसाकी षष्ठ शताब्दीके उत्तराई में हुए हैं। इसका कथानक महाभारत के आधारपर अवलम्बित है । इसमें अठारह सर्ग हैं। तपश्चरणके लिए जब अर्जुन इन्द्रकील पर्वत गये, उस समय उनकी शक्तिपरीक्षाके लिए महादेवने किरातका रूप लेकर उनसे युद्ध किया है, इतने ही विषयको भित्तिपर यह महाकाव्य अवलम्बित है । पदोंके सरल हनेपर भी इसमें अर्थगाम्भीर्य अधिक है, अतः "भारवेरथंगौरवम्" यह उक्ति प्रसिद्ध है। अत एव इसके घण्टापथनामक टीकाके कर्ता मल्लिनाथने भी भारविके वचनको "नारिकेलफलसम्मित" लिखा है। प्रकृतिका वर्णन अति गय मनोहर शैलीमे इसमें प्रस्तुत किया गया है। अपनी राजनीतिकी अभिज्ञता भी कविने दरसाई है, संस्कृत भाषा और व्याकरणमें कविका पूर्ण अधिकार देखा जाता है। पन्द्रहवें सममें इहोंने चित्रकाव्यके शिल्पका भी प्रदर्शन किया है। इसमें १ श्लोक वो केवल "न" वर्णपर अवम्बित है। ८ शिशुपालवध, समर-ख० सप्तम शतक । शिशुपालवधके कर्ता "माषकवि" है, अतः इसको "माघकाव्य" भी कहते हैं। माघका जन्म गुजरातके "मीवमान
SR No.023456
Book TitleSahityadarpanam
Original Sutra AuthorN/A
AuthorSheshraj Sharma Negmi
PublisherKrushnadas Academy
Publication Year1994
Total Pages690
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size15 MB
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