________________
૭૯
( चउरसं ) के० चार खूणां विमान होय छे. एम (उढ ) के० उअर (विमाणठी ) के० विमानोनी पंक्ति जाणवी. सर्वे प्रतरमां मध्यभागे ईक विमान वाटलुं छे. त्यार पछी चारे दिशाएं चारे पंक्ति अनुक्रमे एक एक विमान त्रिखुणावालां. पछी चार खूणांवालां, पछी वाटली एम अनुक्रमे पंक्ति पूरी थाय त्यां सुबी जाrai. दरेक प्रतरे छेनुं एक एक विमान ओछु करवुं जेथी सर्वासिद्धे एक एक विमान त्रिखूं रहे || १२८ ॥
सव्वे विभागा, एगवारा हांति नायव्वा ॥ तिण्ग य तंसत्रिमाणे, चत्तारि य हुति चउरंसे ॥ १२९ ॥
अथः - ( सच्चे वट्टत्रिमाणा ) के० सर्व वाटलां विमानो (एग - दुवारा ) के० एक वारणावालां ( हवंति ) के० होय छे. एम (नायव्त्रा ) के० जाणवां. ( तंसविमाणे ) के० त्रिखूणां विमानने विषे ( तिणिय ) के० त्रण वारणा होय छे: (य) के० अने ( चउरंसे) के० चार खूगा विमानने विषे ( चत्तारि ) के० चार बारणा ( हुँति ) के० होय छे ॥ १२९ ॥
पागारपरिक्खित्ता, वट्टविमाणा हांति सव्वेवि ॥ चउरंस विभागागं, चउद्दिसिं वेइपा होई ॥ १३० ॥ ५०:५
अर्थः - ( सव्देवि ) के० चारे दिशामा रहेला सर्व ( वट्टवि माणा ) के० वाटलi एटले गोलविमानो ( पागार परिक्खिता) के० गडी विटलायला ( हवंति ) के० होय छे. अने ( चउरंस वि माणा ) के० चार खुणावाला रिमानने ( चउद्दिसिं ) के० चारे दिशाए ( वेइया होई ) के० वेदिका होय छे, कांगरा विनाना