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अर्थ-(वत्तीससय) के० एकसो बत्रीश (चंदा) के० चंद्र, (च) के० अने (बत्तिससयं) के एक सो बरोश (सूरिया ) के० सूर्य ( सबे ) के० ते सर्वे ( समसेणीए ) के० समश्रेणिर रया छता ( सययं ) के निरंतर ( माणुसवित्त ) के. मनुष्ष क्षेत्रने विवे (परिभमंति ) के० फर छे ॥ १० ॥ चतारि य पंतीओ, चंदाइबाग मणुयलोगंमि ॥ हाड़ी कावडी यु. होइ इकिकया पंती॥ १०२ ॥ छप्पन्न पंतीओ, नक्खत्तागं च मणुयलोगंमि ॥ छावठी छावठी य, होइ इकिकया पंती ।। १०३ ॥ ८८ ___अर्थ-(मणुयलोगंमि ) के० मनुष्य लोकमां ( नक्खताणं) के० नक्षत्रोनी (छप्पन्न पंतीओ ) के० छप्पन पंक्ति छ. वली छप्पन पतासीन केस बने. अगिना छुासठ छासट चंद्र सूर्यछावठी छावठी य, होइ इकिकया पंती ॥ १०३ ॥ ८८ ___ अर्थ-(मणुयलोगंमि ) के० मनुष्य लोकमां ( नक्खताणं) के नक्षत्रोनी (छप्पन्न पंतीओ ) के० छप्पन पंक्ति छ. वली (छावट्ठी छावठी य) के वने अगिना छासठ छासठ चंद्र सूर्य. . अथानी हाल, (. रकिकया पंती ) के० अठावीश
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छावठाँ छावठा य, हाइ ककया । ।। . ' '
अर्थ-( गहाणं ) के० ग्रहोनी ( छावत्तरी पंतीसयं ) के