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के० स्तनित कुमार. ए ( दस विह भवणवइ ) के० दश प्रकारना भुवनपति देवता छ. (तेसु ) के० ते एक एक निकायने विषे एक दक्षिण श्रेणिनो अने एक उत्तर श्रेणिनो एम ( दुदु इंदा) के० बे बे इन्द्रो छे. ए दशे निकायना देवो कुमार एटले बालकनी पेठे क्रीडा करनारा छे, माटे दरेक नामनी साथे कुमार शब्द जोड्यो छे. ॥ २२ ॥
हवे भुवनपतिनी दश निकायना वीश इन्द्रोनां नाम कहे है:चमरे बली य धरणे, भूयाणंदे य वेणुदेवे य ॥ तत्तो य वेणुदाली, हरिकंते हरिस्सहे चेव ॥ २३ ॥ अग्गिसिह अग्गिमाणव, पुनविसिढे तहेव जलकंते॥ जलपह तह अमि अगई, मियवाहण दाहि
गुत्तरओ ॥ २४ ॥ वेलंबे य पभंजण, घोस महाघोस एसिमन्नयरो॥ जंबुद्दी छत्तं, मेरं दंडं पहु काउं ॥ २५ ॥४० __ अर्थ:-अहिं (दाहिणुत्तरओ ) के० दक्षिण अंगीनो इन्द्र अने उत्तर अंगीना इन्द्र एम दरेक निकायना बने इन्द्रो कहेवा. तेमना अनुक्रमे करीने नाम कहे छे. पहेली असुरकुमार निकायनी दक्षिण दिशानो (चमरे ) के० चमरेन्द्र (य) के० अने उत्तर दिशानो (बली ) के० बळीन्द्र, बीजी नागकुमार निकायनी दक्षिण दिशानो ( धरणे ) के० धरणेन्द्र ( य ) के० अने उत्तर दिशानो (भूयाणंदे ) के० भूतानंद्र. ( य ) के० वळी त्रीजी सुवर्ण कुमार निकायनी दक्षिण दिशानो (वेणुदेवे ) के० वेणुदेवेन्द्र अने उत्तर