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उदही) के० घनोदधि, (घग) , घनवात अने ( तणुवायाण) के तनुवात ए त्रण वलयनी मध्ये (जहसंखं ) के० यथो संख्याये करीने ( सतिभाग गाऊयं ) के० घनोदधिमां एक गाउ, अने एक गानो त्रीजो भागधनात वलयमां (गाउयं) के एक गाउ, (च) के० अने (तह ) के० तेमज तनुवातमां (गाउय तिभागो) के० एक मानो त्रीजो भाग (खिविज ) के० नाखीये त्यारे बीजी शर्करामभानो वलयविष्कंभ ( होइ) के० होय छे, (एयं कोण) के• ए अनुक्रमे (बीयाए ) के० बाजी नरक पृथ्वोमां सर्वमली बार योजन, वे गाउ, अने एक गाउना। करोये तेव। ये भाग एटलो बोजी नरक पृथ्वीथी चारे दिशाये अलोक छ हो (तइयाइसु) के० वालुकाप्रभादि पांचे नरक पृथ्वीना वलयमां (तंपि) के० जे शर्करामभावलयमां नाखेलं तेने पण कमसो के० अनुक्रमे करीने (दुतिचउपचछंगुगं) के बे गुणु, त्रण गुणु, चार गुणु, पांच गुणु अने छ गुणु करीने (खिव) के० मेलववं एटले वालुकादिकना वलयनो विष्कंभ होय, ॥ ३२४ ॥ ३२५ ॥ छसतिभागा पउगाय-पंच वलयाण जोपणपमागं ॥ एगं बारसभागा, सत्त कमा बीय पुढवीए ॥ ३२६ ॥ ___ अर्थ-बाजी शर्कराप्रभाना (वलयाण ) के० वलयोनुं (जोयणपमाणं) के० योजनप्रमाण घनोदधिवलय (छ सति भागा) के० छ योजन अने एक योजननां त्रण भाग करीये तेवो एक भाग एटलं जाणवू, अने घनवातवलय (पउणा पंच ) के० पोणा पांच योजन- जाणवु. तथा तनुवातना वलयनुं प्रमाण (एगं) के० एक योजन अने (बारस भागा सत्त) के० एक योजनना बार भाग करीये तेवा सात भाग (कमा) के० अनुक्रमे करीने जाणवा. सर्व