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________________ १७१ योजना अवधि क्षेत्रवाला होवाथी संख्याता द्वीपसमुद्र सुबी देखे. ज्योती देवता जन्य अने उत्कृष्ट संख्याता योजनना अवधिक्षेत्र होवाथी संख्याता द्वीपसमुद्र देखे, व्यंतरदेवता जवन्यथी पचीस योजन देखे अने उत्कृष्टथी संख्याता योजनना अवधिक्षेत्रवाला होवाथी संख्याता श्रीपसमुद्र देखे. हवे गाथाना पाछला ऋण पोथी नारकी देवता तिर्येच अने मनुष्यना अवधिज्ञाननुं संस्थान कहे छे. १ ( नास्य ) के० नारकी, २ ( भवण ) के० भवनपति, ३ ( वण) के० व्यंतर, ४ ( जोइ ) के० ज्योतषी, ५ ( कप्पाणं ) के० बार देवलोक, ६ (गेविज्ज) के० नवग्रैवेयक, ७ ( अणुत्तराणय) X के० पांच अनुत्तर ए सातना ( जहसंखं ) के० यथासंख्याये करीने ( ओहि आगारा ) के० अवधिज्ञानना आकार एटले संस्थान कहे छे. ॥ ३०९ ॥ तप्पागारे पलग, पडहग झलरि मुहंग पुष्फ जवे || तिरियमणुस ओही, नाणाविह संट्ठिओ भणिओ ॥३०२|| अर्थ - नारकीनुं अवधिज्ञान ( तप्पागारे ) के० पाणी उपर तरवाना त्रापाने आकारे, भुवनपतिनुं अवधिज्ञान (पल्लग) के० पालाने आकारे, व्यंतरनुं अवविज्ञान ( पडहग ) के० ढोलने आकार, ज्योतषीं अवधिज्ञान (झल्लरि) के० झल्लरीने आकारे, वार देवलोकना देवतानुं अवधिज्ञान ( मुहंग ) के० मृदंगने आकारे, ग्रैवेयका देवता अवधिज्ञान (पुप्फ) के पुष्पथी भरेली चंगेरीना आकारे, अने पांच अनुत्तर विमानवासी देवोनुं अवधिज्ञान ( जवे ) के० कुमारीकन्याना गलकंचुवाने आकारे होय छे. वली.
SR No.023435
Book TitleBruhat Sangrahani
Original Sutra AuthorN/A
AuthorChandrasuri
PublisherUmedchand Raichand Master
Publication Year1924
Total Pages272
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size17 MB
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