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१४८ कदापि कोइ संदेह थाय तो मन वर्गणाथी प्रश्न करे. केवली केवलज्ञानथी जाणी तेनो उत्तर आपे-तेने ते देवता अवधिज्ञानथी जाणे परन्तु अंहिं आवे नही ॥ २५० ॥ ___ हवे किलबिषिया देवानां स्थानक कहेछे. तिपलिय तिसार तेरस,सारा कप्पदुग तइय लंत अहो॥ किबिसि नहुँति उवरिं,अच्चुअ परओऽभिआगाई।२५१।१८
अर्थ-देवताओमां पण अशुभ कर्मना उदयथी चंडाल सरखा कल बिषिया देवता थाय छे. ते (कप्पदुग ) के० पहेला बे देवलोकना तलीये ( तिपलिय ) के० त्रण पल्योपमना आयुष्यवाला वसे छे. तेमज ( तइय ) के० त्रीजा सनत्कुमारना तलिये [तिसार] के० त्रण सागरोपमना आयुष्ये वसे छे. वली (सेरस सारा ) के० तेर सागरोपमना आयुष्यवाला (लंत अहो ) के० लांतक देवलोकनी नीचे वसे छे. ( उवरिं) के० लांतक देवलोकथी उपरना देवलोकमां ( किब्बिसि ) के० किलबिषिया देवता (न हुतिः) के० नथी. वली ( अच्चुअपरओ) के० बारमा अच्युत देवलोकथी उपरना देवलोकमां ( अभिओगाइ) के० अभियोगिक तथा सामानिकादि देवो नथी. कारण ग्रेवेयक तथा अनुत्तरमा वसनारा सर्वे देवा स्वयोव इंद्र सरखा छे ॥ २५१ ॥ __हवे सौधर्म तथा ईशान देवलोकमां अपरिग्रहिता देवीओना विमाननी संख्या, तथा देवीओनुं आयुष्य, अने कया विमान वासी देवताओने कइ देवीओ भोग योग्य छे ? ते कहे छे. अपरिग्गहदेवीणं, विमाण लक्खा छ हुँति सोहम्मे ॥१४८ पलियाई समयाहिय,टिइ जासिं जाव दसपलिया॥२५२॥१७