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________________ १२१ अचि तहच्चिमाली, वइरोयण पभंकर य चंदामं ॥ सूराभं सुक्कामं, सुपइट्ठाभं च रिट्ठाभं ॥ २०८ ॥ ___ अर्थ-ईशान खूणामां ( अघि ) के अचि नामर्नु विमान छे, ( तह ) के० तथा पूर्व दिशामां ( अच्चिमाली) के० अर्चिमाली नामनुं विमान छे, अग्नि खूणामां ( वइरोयण ) के० वैरोचन नामनुं विमान छे, दक्षिण दिशामां (पभंकर ) के० प्रभंकर नामर्नु विमान छे,(य) के० अने नैरुत्य खूणाने विषे (चंदाभ)के चंद्राम नामर्नु विमान छे, पश्चिम दिशाने विषे (भूराभं ) के० मूर्याभ नामनुं विमान छे, वाव्य खूणाने विषे ( सुक्काभं) के० शुक्राम नामर्नु विमान छे, उत्तर दिशाने विषे ( सुपइट्टाभं ) के० सुप्रतिष्ठाभ नामनुं विमान छे, (च) के. अने मध्यभागने विषे (रिहार्भ) के० रिष्टाभ नामनुं विमान छे. ॥२०८॥ हवे ते विमानोमां बसनारा अधिष्ठायक देवोनां पूर्व कहेला - अनुक्रम प्रमाणे नाम कहे छे. सारस्सय माइ-चा, वन्ही वरुणा य गहतोया य ॥ तुसिया अव्वाबाहा, अगि तह चेव रिट्ठा य॥२०९॥ ___ अर्थ-अर्चि विमानमां (सारस्सय ) के० सारस्वत देवता वसे छे, अचिमालि विमानमां ( आइच्चा ) के० आदित्य देवता वसे छे, वैरोचन विमानमां ( वन्ही ) के० चन्हि देवता वसे छे, प्रभंकर विमानमां ( वरुणा य) के० वरुण देवता बसे छे, चंद्राम विमानमां (गद्द तोया य ) के० गर्दतोय देवता वसे छे, सूर्याभ वि. मानमा ( तुसिया ) के० तुषित नामना देवता वसे छे, शुक्राम विमानमां ( अब्वाबाहा ) के० अव्याबाध देवता वसे छे, सुप्रतिष्ठाम
SR No.023435
Book TitleBruhat Sangrahani
Original Sutra AuthorN/A
AuthorChandrasuri
PublisherUmedchand Raichand Master
Publication Year1924
Total Pages272
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size17 MB
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