SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 107
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ १०२ अर्थ - ( सणकुमार कष्पंमि ) के० सनत्कुमार देवलोकमां (आलिया) के० पंक्तिमा रहेला सर्वे विमानो (बारसया छब्बीसा) के० ६० बार सो अने छत्रीस छे, अने ( माहिंद ) के० माहेंद्र देवलो - कमां ( आवलिया ) के० पंक्तिमा रहेला सर्वे ( विमाण) के० विमानो (असया चोत्तर) के० आठ सो अने चुमोतेर छे. ॥ १७७॥ एक्कारस लक्खाई, अट्ठाणउई भवे सहस्सा य ॥ सत्ता वित्तरां पुष्फावकिन्नाणं ।। १७८ ॥ Vifo अर्थ - ( एकारस लवखाई ) के० अगीयार लाख, ( अट्ठाणउई सहस्सा य) के० अठाणु हजार ( भवे ) के० होय. वली ते उपर ( सत्तसया चोवत्तर ) के० सात सो चुमोतेर अधिक एटला ( पुप्फावकिन्नाणं ) के० पुष्पावकीर्ण विमानो सनत्कुमार देवलोकमी (हवंति ) के० होय छे. ॥ १७८ ॥ सत्तेव सयसहस्सा, नवनवई खलु भवे सहस्साई || सयमेगं छवीसं, हांति पुप्फावकिन्नाणं ।। १७९ ।। महिंद ५० अर्थ — ( सत्तेव सयसहस्सा ) के० सात लाख, ( नवनवई ) के० नवाणुं हजार ( भवे ) के० होय, वली ( सयमेगं छब्बीसं ) के० एक सो छवीस उपर एटला (पुप्फावकिन्नाणं ) के० पुष्पावकीर्ण मानो महेंद्र देवलोकमां ( हवंति ) के० होय छे. ॥१७९॥ वे सौधर्मादिक विमाननुं लांबणु, पहोलपं, तथा दिमा aat अंदरनो परिधि अने बहारनो परिधि मापवानो उपाय कहेले. रविणो उदयत्थंतर, चउणवइ सहस्स छवीसा ॥ वायाल सठ्ठि भागा, कक्कड संकंति दियहमि ||१०|| B४-BY 23
SR No.023435
Book TitleBruhat Sangrahani
Original Sutra AuthorN/A
AuthorChandrasuri
PublisherUmedchand Raichand Master
Publication Year1924
Total Pages272
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size17 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy