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________________ अर्थ-( पणवीसा घासाया ) के० पच्चीस सो अने ब्यासी वाटला विमान, (छविसं अट्ठसीया य) के. छवीश सो अने अठयाशी त्रिखूगा विमान, तथा (छबीसं चउरहिया) के. छवीश सो अने चार अधिक चोखणा विमान, ए उर्द्ध लोकमां (वट्टाईयाण ) के० वाटला विगेरे विमानानी ( सबग्गं) के० सर्व एकठी संख्या कही. ॥ १६९ ॥ हवे दरेक देवलोके त्रणे जातिना विमानानी सर्व संख्या कहे छे. सत्त सय सत्तवीसा, चत्तारि सया यहुति चउणउया॥ चत्तारिसय छासिया, सोहम्मे हुँति वट्टाई ॥ १७० ॥५८५ ___ अर्थ-( सोहम्मे ) के० सौधर्म देवलोके ( सत्त सय सत्तवीसा ) के० सात सा सत्तावीस विमान वाटलां (य ) के० अने ( चत्तारिसया चउणउया) के चार सो चोराणु विमान त्रिखूणावाला (हुति ) के० होय छे. वली (चत्तारि सय छासिया) के० चार सो छयासी विमान चोखूणावाला. एम ( वट्टाई ) के० वाटला विगेरे सर्वे मलीने सत्तर सो सात विमान चार पंक्तिना (हुति ) के० छे. ॥ १७० ॥ इगतोस सय सहस्सा, अट्ठागई मवे सहस्सा य ॥ दोयसया तेणउया, सोहम्मे पुप्फकिन्नाणं ॥ १७१ ॥४॥ __ अर्थ-( इगतीस सय सहस्सा) के० एकत्रीस लाख (अट्ठागउइ सहस्सा) के० अठाणुं हजार (दोयसया) के० वसो अने तेणउया) के. वाणु अधिक एटला ( सोहम्मे ) के० सौधर्म
SR No.023435
Book TitleBruhat Sangrahani
Original Sutra AuthorN/A
AuthorChandrasuri
PublisherUmedchand Raichand Master
Publication Year1924
Total Pages272
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size17 MB
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