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________________ विमानो (सिय) के० धोला हाय छे. तथा ( भवणवंतर जोइसियाण) के० भवनाति व्यंतर तथा ज्योतसी देवोना निनो (विहवण्णा ) के० विविधवर्णवाला होय छे. ॥१५८॥ ___ हवे दरेक देव लोकना त्रिखूणा चाखूणा अने वाटला विमानानी संख्या कहे छे. पन्नट्ठ अट्ठसीया, दुसत्तरिया य नव नव सयाओ। सोहम्नग इसागे, वट्टा तंसा य चउरंसा ।। १५९ ॥ ५॥ ___ अर्थ-(सोहम्मगइसाणे ) के० सौधर्म अने ईशान देवलोकमां ( वट्टा तंसा य चउरंसा) के० वाटला त्रिखूणा अने चउखूणा-विमानो साथे गणतां (नव नव सयाओ) के० नव सो नव सो उपर (पन्नह)के पांसठ,(अट्ठसीया)के० अट्ठयाशी अने (दुसत्तरिया य) के० बहातेर छे. अर्थात् सौधर्म अने ईशान देवलोकना साथे मली वाटला तिमान ९६५ त्रिखूणा विमान ९८८ अने चउखूण विमान ९७२ छे. ॥१५९ ॥ छच्च सया बाणउया, सत्तसया बारसुत्तरा हंति ॥ छच्च सया छन्नउया, वट्टाइ सगंकुमार माहिंदे ॥१६०॥ अर्थ-(सणंकुमार माहिदे ) के० सनत्कुमार अने :माहेंद्र ए बे देवलोकमां साथे गणतां (छच्च सया बाणउया ) के० छसो अने बाणु वाटला विमान, ( सत्तसया बारसुत्तरा) के० सात सो बार त्रिखूणा विमान अने (छच्च सया छन्नउया) के० छसो छन्नु चउखूणा एम ( वट्टाइ) के० वाटला विगेरेनी संख्या (इंति) के० होय छे. ॥ १६० ॥
SR No.023435
Book TitleBruhat Sangrahani
Original Sutra AuthorN/A
AuthorChandrasuri
PublisherUmedchand Raichand Master
Publication Year1924
Total Pages272
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size17 MB
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