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________________ तत्वविन्दुः (1) 1. विशेषाकारछे ते सामान्याकारथी भिन्न नथी. जेम अनुक्रमे .... यथा शिवकादि विकल मृत्तिकावत् मृत्तिका विकल शिवकादिवत्। १६८ सामान्य विशेषात्मक वस्तुने ग्रहण करनार प्रमाण पण दर्शन . अने ज्ञानरूप छे. छद्मस्थावस्थामां कोई वखत ज्ञानोपयोगनी मुख्यता रहेछे त्यारे दर्शननी गौणता थाय छे. अने कोइ व. खत दर्शनोपयोगनी मुख्यता होयछे. त्यारे ज्ञानोपयोगनी गौणता होय छे. १६९ सम्मतिकारना मत प्रमाणे साविकमा . . केवलदर्शन युगपत् वर्ते पिलाने अने 09s - १७. मतिज्ञानोपयोगे वर्ततां श्रुतज्ञानोपयोग कभी भी भ्रुतज्ञानो पयोगेवर्ततां मति, अवधि, अने मनःपर्यव नथी. अने अवधि ... ज्ञानोपयोगे वर्ततां मति, श्रुत, अने मनःपर्यवनो उपयोग नथी. . अने मनःपर्यवज्ञानोपयोगे. वर्ततां मति, श्रुत, अवधिज्ञाननो उपयोग नथी. तेम चक्षु अने अचक्षु दर्शननो उपयोग वर्तता मतिज्ञानोपयोग नथी. अने मतिज्ञानोपयोगे वर्ततां चक्षु, अ. चक्षुदर्शननो उपयोग नथी. अवधिदर्शननो उपयोग वर्ततां अवधिज्ञानोपयोग नथी. अवधिज्ञानोपयोग वर्ततां अवधिदनिनो उपयोग नथी.. ................ .
SR No.023422
Book TitleTattvabindu
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAdhyatma Gyan Prasarak Mandal
PublisherAdhyatma Gyan Prasarak Mandal
Publication Year1910
Total Pages202
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size11 MB
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