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________________ धर्म चरित्रों से सम्बन्धित सम्वत् .३५ शारीरिक सुखों को शीघ्र उत्पन्न करती हैं।" इस व्याख्या में तीन वर्ष का तात्पर्य तीन युगों से लिया जाता है।' अथर्ववेद के एक श्लोक से भी कुछ विद्वान सृष्टि की आयु का अनुमान लगाते हैं । जिसका तात्पर्य यह है कि१० लाख तक बिन्दु रखकर उससे पूर्व २, ३, ४ के अंक रख देने चाहिये। यह संख्या इस प्रकार होगी-४३२००००००० वर्ष । वेद के आधार पर यह सृष्टि की आयु है । मनु-स्मृति में भी सृष्टि की आयु का वर्णन हुआ है। सूर्य सिद्धांत के अनुसार सृष्टि की आयु में १४ मन्वन्तर तथा उसकी १५ संधियों का समय लगता है। सूर्य सिद्धान्त के रचयिता के समय सष्टि की कितनी आयु हो चुकी थी, कितनी शेष थी, इसका वर्णन इस प्रकार उपलब्ध है- "इस कल्प सृष्टि की उत्पत्ति अब तक संधियों के स्वायम्भुव मनु से लेकर चाक्षुव मनु तक ६ मनु तो पूर्ण और सातवें वैवस्वत् मनु की एक संधि तथा २७ चर्तुयुग तो सम्पूर्ण और २८वे इस वर्तमान चर्तुयुग, के सतयुग, त्रेता द्वापर के बीतने पर यह कलियुग चल रहा है। जिसके ५०७५ वर्ष बीतकर यह ७६वां वर्ष चल रहा है।"3 ___ इस सम्बन्ध में विद्वानों में मतभेद है। स्वामी दयानन्द ने सृष्टि सम्वत् के सम्बन्ध में लिखा है-"यह जो वर्तमान सष्टि है इसमें सातवें वैवस्वत मनु का वर्तमान है । इसके पूर्व छः मन्वन्तर हो चुके हैं और साठवां वैवस्वत् चल रहा है तथा स्पणि आदि सात मन्वन्तर आगे होंगे। सब मिलाकर १४ मन्वन्तर होते हैं और ७१ चतुयुगियों का नाम मन्वन्तर रखा गया है । ऐसे १४ मन्वन्तर एक ब्रह्म दिन में होते हैं और इतना ही परिमाण ब्रह्म रात्रि का भी होता है।" स्वामी जी आगे लिखते हैं-"ब्रह्म दिन और ब्रह्म रात्रि अर्थात् ब्रह्म जो परमेश्वर-उसने संसार के वर्तमान और प्रलय की संज्ञा की है इसीलिए इसका नाम ब्रह्म दिन है। इसी प्रकार असंख्य मन्वन्तरों में जिनकी संख्या नहीं हो सकती अनेक बार सृष्टि हो चुकी है, अनेक बार होगी। सो इस सृष्टि को सदा से सर्वशक्तिमान जगदीश्वर, सहज स्वभाव से रचना, पालन और प्रलय करता है, और सदा ऐसे ही करेगा । जब एक मन्वन्तर समाप्त होकर दूसरा आरम्भ १. निरूपण विद्यालंकार, 'महर्षि दयानन्द और सृष्टि सम्वत्', 'स्मारिका', मेरठ आर्य समाज शताब्दी समारोह, १९७८, पृ० ६६ । २. वही। ३. वही, पृ०६७। ४. वही, पृ० ६८
SR No.023417
Book TitleBharatiya Samvato Ka Itihas
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAparna Sharma
PublisherS S Publishers
Publication Year1994
Total Pages270
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size18 MB
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