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प्रथम अध्याय.
प्राकृत
__संस्कृत पासइ (यलोप२.७८ द्वि०२.८९;= पस्सइ.सलु२.७७ दीर्घ)पश्यति कासवो (,, , , ,, कस्सवो. , , ,)काश्ययः वीसमइ ( र लोप २.७६; दीर्घ)
विश्राम्यति वीसामो ( , , ,)
विश्रामः संफासो ( ,, ,, द्वित्व२.८९; संफस्सो.सलुक्२.७७;दीर्घ) संफासो
आसो (व लोप २.७६. ,, ,, अस्सो ,, ,, ,,) अश्वः वोससइ ( ,, ,, विस्ससइ,, ,, ,,)विश्वसिति विसासो ( ,, ,, ,, ,, विस्सासो,, ,, ,,)विश्वासः दूसासणो (श लोप २.७७; दीघ)
दुश्शासनः मणासिला(श लोप २.७७; दीर्घ)
मनःशिला सीसो (य लोप २.७८.द्वित्व२.८६.सिस्सो सलुक्२.७७दीर्घ)शिष्यः पूसो ( , , , , पुस्सो ,,,) पुष्यः मनूसो (,,,, मनुस्सो,,,)मनुष्यः कासओ (र लोप २.७६ ,, ,, कस्सओ , , ,,) कर्षकः वासा (, , , , वस्सा , " ") वषोः वीसुं( व लोप २.७६. उत्व१.५२.द्वि, विस्सुं , , , )विष्वक्' सासं(य लोप २.७८. , , सस्सं ,, ,,)सस्यम् कासइ(य लोप २.७८ द्वित्व२.८६कस्सइसलुक२.७७;दीघे)कस्यचित्
ऊसो (र लोप२.७६ ,, ,, उस्सो ..,,,,,) उस्रः विकासरो (व लोप ,, ,, ,,विकस्सरो ,, ,,,)विकस्वरः नीसो (,, ,, ,, निस्सो ,,) निस्वः नीसहो (स लोप २.७७ दीघ ......... निस्सहः