________________
प्रभु-महावीर मुन्दर दृश्य था ? स्त्रियों के नेत्रों में तो आम भरे थे और मुँह से गीत गाती जा रही थीं।
श्री वर्द्धमानकुमार, पालकी में से नीचे उतरे। उन्होंने अपने शरीर में अत्यन्त-सुगन्धित पदार्थ लगा रखे थे। उनके शरीर पर के वस्त्रों तथा आभूषणों की शोभा का वर्णन नहीं किया जासकता, । वहाँ आकर श्री बर्द्धमान ने अत्यन्त गम्भीरता पूर्वक एक के बाद एक, इस तरह अपने शरीर पर के सारे वस्त्राभूषण उतार डाले। केवल एक ही अलौकिक वस्त्र अपने शरीर पर रखा । सिर के बाल अपने ही हाथ से उखाड़ डाले और साधु-जोवन की महान्-प्रतिज्ञा ली। उस प्रतिज्ञा का सारांश यों है:
" आज से मैं किसी भी प्रकार का पापकार्य, मन, वचन और काया से न करूंगा और सम्पूर्ण रूप से अपनी आत्मशुद्धि करूंगा।" __इसके बाद, वहाँ पधारे हुए सब मनुष्यों को सम्बोधन करके श्री वर्द्धमान बोले-"महानुभावो! मेरा जीवन आज से एक दूसरी दिशा की ओर प्रारम्भ होगया है। अब, मैं दूसरी जगहों पर जाने की आज्ञा भागता हूँ।" सब ने आज्ञा दी। __ तीस-वर्ष के जवान-राजकुमार, अपनो आत्मशुद्धि के लिये चल निकले।