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________________ प्रभु-महावीर ___ कुछ समय के बाद त्रिशलादेवी गर्भवती हुई । गर्भवती होने पर, उन्हें बड़े ही सुन्दर-सुन्दर स्वम दिखाई दिये। इससे उन्होंने जाना, कि मेरे महा-प्रतापी बालक जन्म लेगा। भविष्य की इस प्रसन्नता को सोचकर वे अत्यन्त खुश हुई। इसी दिन से, उन के कुल में धन-धान्य तथा आनन्द की वृद्धि होने लगी। : २ : चैत्र-सुदी तेरस की रात्रि है, चन्द्रमा का प्रकाश फैल रहा है आकाश अत्यन्त स्वच्छ है और सुन्दर-वायु धीरेधीरे चल रही है। सारी-पृथ्वी, मानों आनन्द से परिपूर्ण हो रही है । इसी समय, त्रिशलादेवीजी ने, एक अत्यन्त-सुन्दर और तेजस्वी पुत्र-रत्न को जन्म दिया। उस समय सारे संसार में एक अलौकिक-तेज तथा आनन्द की लहर-सी फैल गई। देवताओं ने इस बालक के यश का बखान किया और बड़ी प्रसन्नता के साथ उत्सव मनाया। राजा सिद्धार्थ ने भी. पुत्र-जन्म की खुशी में बड़ा उत्सव किया । - ये बालक, धन-धान्य तथा आनन्द की बढ़ती करनेवाला थे, इसलिये इनका नाम 'वर्द्धमान' रखा गया।
SR No.023378
Book TitleHindi Granthavali
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDhirajlal Tokarshi Shah, Bhajamishankar Dikshit
PublisherJyoti Karayalay
Publication Year1932
Total Pages398
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size17 MB
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