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________________ प्रभु-महावीर श्री वीर-जिनेश्वर देव को, कोटिन बार प्रणाम । भारतवर्ष में, मगधदेश एक अत्यन्त सुहावना मान्त है। इस प्रान्त के बीच में होकर गंगाजी बहती हैं. तब फिर इसकी सुन्दरता में कमी कैसे हो सकती है ? जहाँ देखो वहीं अनाज से भरे हुए हरे-हरे खेत, चित्त को प्रसन्न करनेवाली तथा आनन्द देनेवाली आम की वाटिकाएँ एवं छोटेबड़े ग्राम-नगर आदि दिखाई देते। । इस देश में क्षत्रियकुण्ड नामक एक बड़ा सुन्दर शहर था । इस नगर में सिद्धार्थ नामक एक राजा राज्य करते थे। ये बड़े ही धर्मात्मा और न्यायी-राजा थे। प्रजा के पालन और दीन-दुःखी की सहायता करने में ये सदा तत्पर रहते थे। इनके त्रिशलादेवी नामक एक चतुर रानी थीं।
SR No.023378
Book TitleHindi Granthavali
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDhirajlal Tokarshi Shah, Bhajamishankar Dikshit
PublisherJyoti Karayalay
Publication Year1932
Total Pages398
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size17 MB
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