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________________ श्री पार्श्वनाथ नजदीक, तापस के आश्रम के पास आये । शाम पड़ चुकी थी और रात्रि के समय उन्हें भ्रमण नहीं करना था, इसलिये वहीं एक कुएँ के समीप, बड़ के वृक्ष के नीचे ध्यान लगाकर खड़े हो गये । -२० मेघमाली को श्री पार्श्वनाथजी से वैर था, इसलिये उस रात्रि में उसने श्री पार्श्वनाथजी को अनेक प्रकार से सताने का प्रयत्न किया । उसने सिंह तथा हाथी के भय दिखलाये, रीछ तथा चीते के डर बतलाये, साँप तथा बिच्छू से भी डरवाया । किन्तु पार्श्वनाथजी अपने ध्यान से जरा भी न डिगे । मेघमाली ने जब देखा, कि मेरे ये सारे प्रयत्न फिजूल गये, तब अन्त में उसने भयङ्करवर्षा का उपद्रव करना शुरू किया। आकाश में, घनघोर बादल हो आये, चारों तरफ कान को फोड़नेवाला बादलों का शब्द सुनाई देने लगा और बिजली इस तरह कड़कड़ाने तथा चमकने लगी, कि मानों गिरना ही चाहती हो । मूसलाधार वर्षा शुरू होगई । इस उपद्रव के कारण, झाड़ उखड़ गये, बेचारे पशुपक्षी इधर-उधर भागने लगे और जिधर देखो, उधर सारीपृथ्वी जलमग्र दिखाई देने लगी । प्रभु - पार्श्वनाथजी के चारों तरफ पानी घूम गया । देखते ही देखते पानी कमर तक पहुँच गया और थोड़ी
SR No.023378
Book TitleHindi Granthavali
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDhirajlal Tokarshi Shah, Bhajamishankar Dikshit
PublisherJyoti Karayalay
Publication Year1932
Total Pages398
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size17 MB
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