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श्री पार्श्वनाथ लिये तुम मेरा कहना मानो और प्रभावती के साथ विवाह करके सुखपूर्वक जीवन बिताओ।
पाश्वकुमार बोले-" पिताजी, मुझे वैवाहिक-जीवन पसन्द नहीं है "। पार्श्वकुमार का उत्तर सुनकर, राजा अश्वसेन ने उन्हें बहुत समझाया और विवाह करने के लिये विशेषरूप से आग्रह किया। अन्त में, पिता का अधिक आग्रह देख, पार्श्वकुमार ने प्रभावती के साथ अपना विवाह कर लिया। ___ विवाह होजाने पर, प्रभावती के आनन्द की कोई सीमा न रही। वे गाने लगी:जो कन्या यह पति पाजावे, उस सम धन्य न और। जीवन सफल करे वह अपना, हो सब में सिर मौर ॥
:१२ एक दिन पार्श्वकुमार, अपने महल पर खिड़की में बैठे हुए काशी नगरी की छटा देख रहे थे, कि इतने ही में उन्होंने देखा, कि लोगों के झुण्ड के झुण्ड फूलों की टोकरिये लिये हुए, जल्दी-जल्दी नगर से बाहर की तरफ जा रहे हैं।
पार्श्वकुमार ने, अपने पास के मनुष्यों से पूछा, कि-" आज कौन-सा त्यौहार है, जो लोग इतने अधिक उतावले होकर नगर से बाहर जा रहे हैं ? " मनुष्यों ने