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श्री पार्श्वनाथ प्रभावती को यह गायन बहुत पसन्द आया। इस गायन में, श्री पार्श्वकुमारजी के प्रभाव का बड़ा ही अच्छा वर्णन था । इस प्रशंसा को सुनकर, प्रभावती ने अपने मन में निश्चय किया, कि यदि मैं अपना विवाह करूंगी, तो ऐसे ही प्रभावशाली मनुष्य से; अन्यथा विवाह ही न करूंगी।
प्रभावती, अब योग्य-अवस्था की हो चुकी थीं। वे, सदा पति की चिन्ता में ही मग्न रहती थीं। इस चिन्ता का प्रभाव उनके शरीर पर भी हुआ। प्रभावती की सखियों को, उनकी इस चिन्ता का हाल मालूम होगया । सखियों ने, प्रभावती को इस फिकर से छुड़ाने के लिये यह बात उनके माता-पिता से कही । उन्होंने, यह बात सुनकर कहा-" श्री पार्श्वकुमार पुरुषों में श्रेष्ठ हैं और प्रभावती कन्याओं में श्रेष्ठ है । प्रभावती ने, पावकुमार को अपने लायक उचित वर ढूंढ निकाला है, अतः हमें उसके इस निश्चय को जानकर बड़ी प्रसनता है।"
माता-पिता का यह उत्तर, सखियों ने प्रभावती से जाकर कहा । इसे सुनकर, प्रभावती को भी बड़ा आनन्द हुआ । प्रभावती, यद्यपि अपने निश्चय से माता-पिता को सहमत जान प्रसन्न थीं, किन्तु उन्हें पार्श्वकुमार के